डॉक्टरों को डर है कि आनेवाले महीनों में टीकाकरण और महामारी के कारण ब्लड डोनर्स की अधिक कमी का सामना करना पड़ सकता है. ज्यादा मांग और कम डोनर्स के कारण भारत में ब्लड बैंक पहले ही गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं और पूरी कमी एक मिलियन यूनिट से अधिक की है. इसलिए आवश्यक है कि लोगों को ब्लड डोनेशन के महत्व के बारे में शिक्षित किया जाए. सच्चाई ये है कि ब्लड का भंडारण अनिश्चितकाल तक नहीं किया जा सकता जो उसे हमारे लिए जरूरी बनाता है कि ब्लड डोनेशन कैंप के आयोजन करने का रास्ता निकाला जाए और लोगों को इस कठिन समय में आगे आने के लिए प्रेरित किया जाए. स्थिति को समझने और उसे संभालने के लिए क्या किया जा सकता है.
आनेवाले दो महीनों में ब्लड डोनर्स की अधिक कमी
आनेवाले दो महीनों में ब्लड डोनर्स की कमी की भविष्यवाणी पर बीजीएस ग्लेनेगल्स ग्लोबल हॉस्पीटल में वरिष्ट कंसलटेंन्ट डॉक्टर राघवेंद्र चिकातूर का कहना है, “हम जानते हैं कि कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने में टीकाकरण अहम भूमिका निभाता है. भारत सरकार ने लोगों की 18-44 उम्र को लक्ष्य में रखते हुए टीकाकरण अभियान का तीसरा चरण शुरू किया है.” नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल की तरफ से जारी संशोधित गाइडलाइन्स के मुताबकि, वैक्सीन लगवा चुका शख्स वैक्सीन के हर डोज के बाद 28 दिनों तक ब्लड डोनेट नहीं कर सकता. कई राज्य सरकारों ने महामारी की दूसरी लहर में बढ़ते मामलों को देखते हुए आंशिक या संपूर्ण लॉकडाउन का एलान किया है. शैक्षणिक संस्थानों के बंद होने और युवा पेशेवरों के घर से काम करने के कारण ब्लड बैंक डोनेशन कैंप आयोजित नहीं कर सकते. इसलिए उन्हें गंभीर कमी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि 10-44 साल के युवाओं में अधिकांश डोनेर शामिल हैं.
उन्होंने कहा, “हम युवा स्वस्थ वॉलेंटियर से आग्रह करते हैं कि कोविड-19 वैक्सीन लेने से पहले या कम से कम पहले डोज (दूसरा डोज लेने से पहले) के 28 दिनों बाद ब्लड डोनेट करें. एक अनुमान के मुताबिक 18-44 साल में 40 करोड़ आबादी के लिए वैक्सीन प्रशासन समय लेने जा रहा है.” उनकी अपील है कि युवा, स्वस्थ डोनर को स्वेच्छा से ब्लड बैंक में डोनेट करने के लिए आना चाहिए क्योंकि कैंसर, थैलेसीमिया, इमरजेंसी सर्जरी से गुजरनेवाले मरीजों और दुर्घटना पीड़ितों को ब्लड और उसके प्रोडक्ट्स की सख्त जरूरत होती है. कोई शख्स जिसको कोविड-19 की बीमारी हो चुकी है, उसके अंदर 14 दिनों बाद एंटी बॉडीज विकसित होती है और कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ कॉनवैलीसेंट प्लाज्मा थेरेपी एंटी बॉडीज में समृद्ध होता है जो प्राप्तकर्ताओं को निष्क्रिय रूप से बीमारी से लड़ने में मदद करता है.
कौन प्लाज्मा डोनेट कर सकता है?
18-60 साल का कोई शख्स जिसका वजन कम से कम 50 किलो और कोविड-19 से ठीक हो चुका हो, अपना प्लाज्मा पूरी तरह ठीक होने 28 दिनों बाद कर सकता है. करीब 500 मिलीलीट प्लाज्मा (ब्लड का पीला हिस्सा) डोनेट किया जाता है और हर 15 दिनों पर तीन महीनों तक दोहराया जा सकता है. डोनर को एंटी बॉडी स्क्रीनिंग टेस्ट, सीबीसी, सीरम प्रोटीन लेवल और अन्य स्क्रीनिंग टेस्ट से संक्रमण को खारिज करने के लिए गुजरना होगा.
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