ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी भारत सरकार के खिलाफ पंचनिर्णय पर अमल कराने के लिए अमेरिका में मुकदमा शुरू करने की तैयारी में है। कंपनी इससे पहले ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, सिंगापुर, नीदरलैंड और तीन अन्य देशों में अदालत की शरण में जा चुकी है।
भारत सरकार की 10,427 करोड़ रुपये की कर मांग के खिलाफ केयर्न पंचाट के पास गई थी। पंचाट ने कंपनी के हक में फैसला सुनाते हुए भारत सरकार की कर मांग को खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं बल्कि पंचाट ने बेचे गए शेयर और जब्त लाभांश व कर रिफंड के एवज में भारत सरकार को 1.2 अरब डॉलर लॉटाने को भी कहा है। केयर्न इसी 1.2 अरब डॉलर की वसूली के लिये तेल एवं गैस, नौवहन, विमानन तथा बैंकिंग क्षेत्र में भारत सरकार की कंपनियों को जब्त कराना चाहती है। केयर्न के पक्ष से पैरवी करने वाली कंपनी क्विन इमैनुएल उर्कुहार्ट एंड सुलिवान के स्वायत्त मुकदमा विभाग के प्रमुख डेनिस रैनिज्की ने कहा, चूंकि भारत सरकार अभी तक पंचाट के फैसले के अनुसार भुगतान करने से मुकर रही है, ऐसे में कंपनी भारत सरकार की कंपनियों को जब्त करा वसूली करना चाहती है।
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उन्होंने कहा कि इसी के मद्देनजर केयर्न आने वाले सप्ताहों में मुकदमा दायर कर सकती है। उन्होंने कहा कि केयर्न ने इसके लिये भारत सरकार की संबंधित संपत्तियों (कंपनियों) की पहचान कर ली है। हालांकि, उन्होंने पहचान की गयी कंपनियों के नाम नहीं बताए। जब कभी हम इंवेस्टमेंट करते हैं तो हमारी कोशिश होती है कि टैक्स बचाने के यह लाॅन्ग टर्म में फायदेमंद रहे। लेकिन कई बार जल्दबाजी में हम रिस्क कवर का आकलन करने में चूक जाता हैं जिसके कारण हमें नुकसान उठाना पड़ता है।
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