ममता बनर्जी ने बीजेपी का मुकाबला करने के लिए ‘कोरग्रुप’ बनाने का प्रस्ताव दिया

Mamata Banerjee moots panel of leaders to decide on programmes to fight BJP- India TV Hindi
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ममता बनर्जी ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ विपक्षी नेताओं का एक कोरग्रुप बनाने का प्रस्ताव रखा।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ संयुक्त आंदोलनों को लेकर विपक्षी नेताओं का एक कोरग्रुप बनाने का प्रस्ताव रखा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलायी गयी विपक्षी दलों की डिजिटल बैठक में शिरकत करते हुए तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने विपक्षी नेताओं से मतभेद दूर रखने एवं बीजेपी का एकजुट होकर मुकाबला करने का आह्वान किया। एक वरिष्ठ तृणमूल नेता के अनुसार बनर्जी ने बैठक में कहा, ‘‘हम यह भूल जाएं कि नेता कौन है, हम अपने निजी हितों को एक तरफ रख दें। हर विपक्षी दल को साथ लाया जाना चाहिए। लोग नेता हैं। हम एक कोरग्रुप बनाएं और भावी कार्ययोजना एवं कार्यक्रम पर साथ मिलकर निर्णय लें।’’

ममता बनर्जी ने यह मुद्दा भी उठाया कि कैसे विपक्ष शासित राज्य सरकारों को बदनाम करने के लिए एनएचआरसी जैसे निष्पक्ष संगठनों का केंद्र सरकार ने दुरूपयेाग किया। एक अन्य तृणमूल नेता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने किसानों का मुद्दा एवं विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों का केंद्र के हाथों हो रहे कथित उत्पीड़न का विषय भी उठाया। वहीं कांग्रेस समेत 19 विपक्षी दलों ने पैगसस जासूसी मामला, किसान आंदोलन, महंगाई और कई अन्य मुद्दों को लेकर शुक्रवार को केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया और 11 सूत्री मांग रखते हुए कहा कि वे सरकार की नीतियों के खिलाफ 20 से 30 सितंबर के बीच राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे। 

सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई डिजिटल बैठक के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि सरकार पैगसस मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराए, तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करे, महंगाई पर अंकुश लगाए तथा जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करे। उन्होंने कहा, ‘‘हम केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के उस रवैये की निंदा करते हैं कि जिस तरह उसने मानसून सत्र में व्यवधान डाला, पेगासस सैन्य स्पाईवेयर के गैरकानूनी उपयोग पर चर्चा कराने या जवाब देने से इनकार किया, कृषि विरोधी तीनों कानूनों निरस्त करने की मांग, कोविड महामारी के कु्प्रबंधन, महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा नहीं करायी।’’

उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से इन मुद्दों और देश एवं जनता को प्रभावित करने वाले कई अन्य मुद्दों की जानबूझकर उपेक्षा की गई। विपक्षी दलों ने मानसून सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में हुए हंगामे का उल्लेख करते हुए दावा किया कि विपक्षी सदस्यों के विरोध को रोकने के लिए मार्शलों की तैनाती करके कुछ महिला सांसदों समेत कई सांसदों को चोटिल किया गया तथा सदस्यों को सदन के भीतर अपनी बात रखने से रोका गया। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार के स्तर पर हुए व्यापक कुप्रबंधन के कारण लोगों को गहरी पीड़ा से गुजरना पड़ा। 

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