कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने की वजह से उनका देश के स्टील प्लांट का प्रोडक्शन घट गया है. लेकिन मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई का उनके मुनाफे पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. चूंकि इस वक्त देश के स्टील प्लांट जोर-शोर से अपना ऑक्सीजन अस्पतालों को सप्लाई करने में लगे हैं इसलिए उनका उत्पादन तो थोड़ा गिरेगा लेकिन उन्हें आर्थिक तौर पर ज्यादा घाटा नहीं होगा. देश के इस्पात संयंत्रों के पास इस वक्त बहुत कम ऑक्सीजन रह गया है.
ऑक्सीजन का स्टॉक घटा
एक स्टील प्लांट के एक बड़े अधिकारी के मुताबिक फिलहाल इन संयंत्रों के पास दो से तीन दिन का स्टॉक हुआ करता था लेकिन अब यह घट कर आधे दिन का रह गया है. हालांकि स्टील सेक्टर की कंपनियां मरीजों के लिए ऑक्सीजन सप्लाई करने को प्राथमिकता देते हुए प्रोडक्शन रोक भी सकती हैं. लिक्विड ऑक्सीजन स्टील प्लांट के लिए सेफ्टी स्टॉक के तौर पर होती है. अगर उनके कैप्टिव ऑक्सीजन प्लांट में कोई दिक्कत आती है इस स्टॉक से काम चलाया जाता है. इससे स्टील प्लांट के ब्लास्ट फर्नेस को ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है. अप्रैल के आखिर तक स्टील सेक्टर हर दिन 3000 टन मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहा था.
निर्यात में आई गिरावट
हालांकि स्टील प्लांट में प्रोडक्शन घटने का असर उनके मुनाफे पर ज्यादा नहीं पड़ेगा. जुलाई में हॉट रोल्ड क्वायल यानी एचआरसी स्टील का दाम 36,500 प्रति टन था लेकिन इसमें 71 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है और यह 62,500 रुपये प्रति टन पर पहुंच गया है. वैसे इस बीच सेल, टाटा स्टील और जेएसडब्ल्यू के स्टील निर्यात में गिरावट आई है. जेएसडब्ल्यू का स्टील निर्यात 18.6 फीसदी घट गया है. जबकि सेल और टाटा स्टील के निर्यात में एक तिहाई की कमी आई है.
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