भारत सरकार ने विदेशों से मिली मदद के रूप में ऑक्सीजन और मेडिसिन को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वितरित किया है. केंद्र ने राहत सामग्री के लगभग 40 लाख विभिन्न सामग्री को 24 अलग अलग श्रेणियों में वितरित किया है. राज्यों में वितरण स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया के आधार पर किया गया है. जानकारी के मुताबिक सामान का वितरण उन राज्यों में पहले किया जा रहा है जहां पर बीईएपीपी मशीनों, ऑक्सीजन सिलेंडर, पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र, पल्स ऑक्सीमीटर, फ्लेविपैरवीर, रेमेडिसविर, पीपीई और मास्क जैसी चीजों की ज्यादा जरूरत है.
सरकारी बयान में कहा गया कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को राहत सामग्री वितरित करने के पूरे ऑपरेशन का विवरण दिया गया है. इसलिए वितरण रणनीति का उद्देश्य पारदर्शिता में सुधार करना है. वहीं माना जा रहा है कि सहायता की प्रक्रिया जल्द होनी जरूरी है क्योंकि कई मशीनें अब खराब हो रही हैं और केंद्र सरकार के मुताबिक सामान को टैली करने की प्रक्रिया, पैकेजिंग को खोलना और उनकी देखरेख करना जरूरी है.
ऑपरेशन पर नजर रखने के लिए टीम का गठन
इस पूरे ऑपरेशन पर नजर रखने के लिए नीति आयोग के तहत एक उच्च स्तरीय समिति, नीति आयोग के सीईओ और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों को शामिल किया गया है. वहीं राज्यों को राहत सामग्री देने के लिए स्टेट लॉजिस्टिक फर्म कॉनकॉर का इस्तेमाल किया जा रहा है.
कई देशों से मिल रही मदद
नीति आयोग ने निजी क्षेत्र, संघों, उद्योगों और अन्य संस्थाओं से प्राप्त राहत सामग्री के वितरण की निगरानी के लिए एक नियंत्रण कक्ष और डिजिटल डैशबोर्ड भी स्थापित किया है. ये सामान को लाभार्थी तक ले जाता है. देश में कोविड मामलों में तेजी के बाद विभिन्न देशों से दान के रूप में चिकित्सा संबंधी सामान आना शुरू हो गया है और उन्हें विदेश मंत्रालय के माध्यम से प्रसारित किया जा रहा है.
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