डिजिटल डेस्क,मुंबई। रेलवे ने ऑक्सीजन एक्सप्रेस के परिचालन को एक चुनौती के रूप में लिया और विशाखापट्टनम से शनिवार की सुबह 10.20 बजे ऑक्सीजन एक्सप्रेस नाशिक पहुंच गई। इसके लिए कलंबोली में केवल 24 घंटे में रैंप बनाया गया। मध्य रेलवे के प्रवक्ता एके सिंह ने बताया कि रो-रो सेवा के आवागमन के लिए रेलवे को कुछ स्थानों पर घाट सेक्शन, रोड ओवर ब्रिज, टनल, कर्व्स, प्लेटफॉर्म कैनोपीज़, ओवर हेड इक्विपमेंट आदि विभिन्न बाधाओं पर विचार करते हुए पूरे मार्ग का एक खाका तैयार करना था। क्योंकि इस मूवमेन्ट में ऊंचाई एक महत्वपूर्ण पहलू है, रेलवे ने वसई के रास्ते मार्ग का खाका तैयार किया। इससे 3320 मिमी की ऊंचाई वाले सड़क टैंकर टी1618 के मॉडल को फ्लैट वैगनों पर रखा जाना संभव पाया गया।
चूंकि ऑक्सीजन क्रायोजेनिक और खतरनाक रसायन है, इसलिए रेलवे को अचानक मंदी से बचना पड़ता है, बीच-बीच में प्रेशर की जांच करनी पड़ती है, खासकर जब यह भरी हुई स्थिति में हो। सिंह कहते हैं कि रेलवे ने इसे चुनौती के रुप में लिया, मार्ग का खाका तैयार किया, लोगों को प्रशिक्षित किया और इन विशेष आकार के टैंकरों को वसई, सूरत, भुसावल, नागपुर मार्ग से विशाखपट्नम तक ले जाया गया।कलंबोली और विशाखपट्नम के बीच की दूरी 1850 किमी से अधिक है, जो इन टैंकरों द्वारा केवल 50 घंटों में पूरी की गई थी।100 टन से अधिक टन एलएमओ (लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन) वाले 7 टैंकरों को 10 घंटे में लोड किया गया और केवल 21.00 घंटे में वापस नागपुर ले जाया गया। रेलवे ने शुक्रवार को नागपुर में 3 टैंकरों को उतार दिया है और शेष 4 टैंकर आज सुबह 10.25 बजे नासिक पहुंच गए हैं, यानि नागपुर से नासिक का अंतर केवल 12 घंटे में पूरा किया।
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