मैक्रों का वादा- जिन लोगों ने फ्रांस के लिए काम किया उन्हें तालिबान के बीच अकेला नहीं छोड़ेंगे
पेरिसः फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोमवार को वादा किया कि फ्रांस उन अफगान नागरिकों को तालिबान के बीच अकेला नहीं छोड़ेगा, जिन्होंने उसके लिये काम किया है. इन लोगों में अनुवादक, रसोई कर्मचारी, कलाकार, कार्यकर्ता और अन्य शामिल हैं. मैक्रों ने कहा कि उन लोगों की रक्षा करना जरूरी है, जिन्होंने वर्षों तक फ्रांस की मदद की है.
उन्होंने कहा कि दो सैन्य विमान अगले कुछ घंटों में विशेष बलों के साथ काबुल पहुंचेगे. मैक्रों के पहले से रिकॉर्ड भाषण के अनुसार अभी यह नहीं पता है कि कितने लोगों को अफगानिस्तान से बाहर लाया जाएगा.
फ्रांस पहले ही लगभग 1,400 अफगान कर्मचारियों और उनके परिवारों को बाहर निकाल चुका है. फ्रांस ने दिसंबर 2014 तक अपने सभी सैनिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकाल लिया था, लेकिन वह वहां नागरिक समाज संस्थाओं के साथ अब भी काम कर रहा था.
बता दें कि अफगानिस्तान में काबुल समेत ज्यादातर शहरों पर तालिबानियों ने कब्जा जमा लिया है. जिसे बाद से लोग अफगानिस्तान छोड़कर अन्य देशों में भाग रहे हैं. साथ ही वहां काम के सिलसिले में पहुंचे लोग भी वतन वापसी के कर रहे हैं.
बता दें कि तालिबानियों की ओर से अफगानिस्तान के नए राष्ट्रपति पद के लिए मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का नाम आगे किया गया है. ऐसी खबरें है कि आज तालिबान के बड़े नेता दोहा से काबुल आकर नई सरकार को लेकर कोई एलान कर सकते हैं. अफगानिस्तान में बदलती सत्ता ने दुनिया के समीकरण को भी हद तक बदलकर रख दिया है.
वहीं चीन, रूस, तुर्की और पाकिस्तान ने कहा है कि वह अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता देंगे. वहां के मौजूदा हालात को लेकर अब लोग अमेरिका को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वहीं चीन, रूस और पाकिस्तान ने एलान किया है कि वह अपनी एंबेसी काबुल से नहीं खाली करेंगे.
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