मोदी-शाह पर फिर भारी पड़ीं ममता, प. बंगाल में टूट की कगार पर बीजेपी

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डिजिटल डेस्क, प. बंगाल। खेला होबे के जुमले के साथ शुरू हुआ पश्चिम बंगाल का सियासी समर भले ही नतीजों तक पहुंच गया हो. पर एक बार फिर मुख्यमंत्री का ताज अपने कब्जे में करने वाली ममता बनर्जी का खेला नहीं थमा है. चुनाव से पहले तक बीजेपी ने जम कर लड़ाई पड़ी. ममता की माटी में मोदी के मानुष पकड़ मजबूत करने की कोशिश में जुटे रहे. पर दिग्गजों की रवानगी जैसे ही शुरू कर दी ममता बनर्जी ने एक बार  फिर ये साबित कर दिया है कि बंगाल की माटी में उनसे ज्यादा मजबूत पकड़ किसी की नहीं है.

नतीजों के चंद दिनों बाद फिर घमासान
पश्चिम बंगाल में हाल ही में सियासी घमासान फिर शुरू हो चुका है. बमुश्किल दो दिन पहले मुकुल रॉय ने बीजेपी में छोड़ टीएमसी में वापसी की है. उसके बाद से बीजेपी टूट की कगार पर पहुंच गई है. बीजेपी के भीतर टीएमसी का खेल शुरू हो चुका है. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी के बड़े नेता सुवेंदु अधिकारी भी अपने विधायकों को बांध कर नहीं रख पा रहे. याद दिला दें सुवेंदु वही नेता हैं जो पहले ममता बनर्जी के खास हुआ करते थे. पर इस बार विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी का रूख किया. नंदीग्राम से ममता बनर्जी को भी हराया. हालांकि अब जीती बाजी भी उनके हाथ से फिसलती हुई नजर आ रही है.

टूट की कगार पर बीजेपी
बीजेपी में टूट के संकेत तब मिलना शुरू हुए जब सुवेंदु अधिकारी के साथ विधायकों की संख्या कम नजर आई. दरअसल सुवेंदु अधिकारी राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मिलने पहुंचे थे. उनके साथ 51 विधायक भी मौजूद थे. इस मौके पर सुवेंदु राज्यपाल से चुनाव के दौरान हुई हिंसा की बारे में चर्चा करने पहुंचे थे. पर इस मुलाकात से ज्यादा ये मुद्दा  गर्माया कि सुवेंदु के साथ सिर्फ 51 विधायक ही क्यों पहुंचे. जबकि राज्य में बीजेपी के 77 विधायक हैं. 

कहां गायब हुए 26 विधायक?
इस मुलाकात के बाद से ये सवाल सुर्खियों में है कि बाकी 26 विधायक कहां गायब रहे. इस बात का जवाब खुद बीजेपी ही अब तक नहीं दे पाई है. बंगाल में बीजेपी के साथ ये हालात उस वक्त बने हैं जब टीएमसी बहुत तेजी से बीजेपी में गए अपने पुराने नेताओं से संपर्क में है. मुकुल रॉय की वापसी के बाद से ये कयास लग ही रहे हैं कि बीजेपी में अभी और तोड़-फोड़ होना बाकी है. ये अटकलें भी हैं कि ममता बनर्जी अपने वफादारों के जरिए अपने पुराने साथियों से संपर्क साधने में जुटी हुई है. इसलिए माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में बीजेपी को और भी नुकसान झेलना पड़ सकता है.   
 

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