फ्रूट चाट इफ्तार के टेबुल पर रोजेदारों का मनपसंद फूड करार दिया जाता है. इफ्तार की शुरुआत फ्रूट चाट से करने पर रोजेदार खुद को तरोताजा और ऊर्जावान महसूस करता है. पूरा दिन रोजे के कारण महसूस होनेवाली कमजोरी और थकान भी ताकत में बदल जाती है. फ्रूट चाट में कई तरह के फल इंसानी सेहत के लिए जरूरी मिनरल्स और विटामिन्स की प्राप्ति का जरिया बनता है. इसकी पहचान एक संपूर्ण डाइट के तौर पर होती है.
रमजान में इफ्तार के वक्त क्या करते हैं फ्रूट चाट का इस्तेमाल?
एक कप फ्रूट चाट खाने से फाइबर समेत विटामिन्स, मिनरल्स की भरपूर मात्रा हासिल होती है, जबकि फ्रूट चाट के इस्तेमाल से शरीर को प्राकृतिक शुगर उपलब्ध होता है जो प्रोसेस्ड शुगर से कई गुना बेहतर है. विशेषज्ञों के मुताबिक रमजान के पूरे महीने फ्रूट चाट का पाबंदी से इस्तेमाल करने से चेहरे पर चमक, स्वस्थ स्किन, नाखुनों और बालों की सेहत भी बेहतर होती है. उसको खाने के नतीजे में मिलनेवाले फायदे अनगिनत हैं. खूबसूरती में बढ़ोतरी और दिल को स्वस्थ रखने जैसे फायदों के बावजूद जरूरी है कि फ्रूट चाट बनाते वक्त कोई गलती तो नहीं की जा रही है? अक्सर ऐसा होता है कि कुछ फलों का एक साथ इस्तेमाल सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. फूड विशेषज्ञ कुछ फलों को एक साथ खाने से मना करते हैं. मिसाल के तौर पर तरबूज को फ्रूट चाट में शामिल नहीं करना चाहिए. उसमें पानी ज्यादा होता है, पानी और तरबूज के एक साथ इस्तेमाल से डायरिया होने का खतरा बढ़ जाता है.
फ्रूट चाट में शामिल तरबूज, नींबू कर सकता है साइड-इफेक्ट्स
रमजान में आम तौर से इफ्तार करता है, सबसे पहले खजूर के सात एक ग्लास पानी पीता है, उसके बाद जब फ्रूट चाट खाया जाता है, तो उसमें मौजूद तरबूज डायरिया का कारण बन सकता है, इसलिए तरबूज को उसमें शामिल करने के बजाए इफ्तार खत्म होने के बाद भूख महसूस होने पर कुछ खाएं. सलाह दी जाती है कि टेबुल पर लस्सी या दूध से बना कोई और फूड मौजूद है, तो उस दिन केले का इस्तेमाल फ्रूट चाट में करने से बचें. ऐसा करने से पेट खराब और तबियत घंटों बोझिल हो सकती है. कुछ लोगों को फ्रूट चाट में खटाई अच्छी लगती है, कोशिश करें उसको बनाते हुए उस बात का ख्याल रखा जाए कि उसमें नींबू शामिल न करें. नींबू शामिल करने से उसके साथ खाई जानेवाले अन्य फड या दूध से बने ड्रिंक्स तबियत खराब कर सकते हैं, जिसके नतीजे में पेट की खराबी या अपच की शिकायत हो सकती है.
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