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जब एक हेल्थ इंश्योरेंस पाॅलिसी के साथ-साथ कोई टाॅप योजना खरीदने की बात आती है तो ऐसी स्थिति में रेगुलर टाॅप अप और सुपर टाॅप अप योजना के विषय में बहुत कंफ्यूजन हो जाता है। इसलिए कोई भी स्कीम सिलेक्ट करने से पहले उसमें का अंतर समझना बहुत जरूरी हो जाता है।
क्या होता है टाॅप-अप प्लान
टाॅप अप प्लान उन लोगों के लिए है जो लोग पहले से कोई हेल्थ इंश्योरेंस स्किम खरीद चुके हैं। यह अन्य की तुलना में काफी कम पर मिल जाता है। यह उन व्यक्तियों के लिए एक बेहतर विकल्प है जिनके पास पहले हेल्थ इंश्योरेंस है।
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रेगुलर या बेसिक टाॅप अप प्लान
जब क्सटमर का हाॅस्पिटल खर्च लिमिट को क्राॅस कर जाता है तब रेगुलर या बेसिक टाॅप अप प्लान एक्टिव होता है। इस स्कीम फायदा यह है कि रेगुलर स्कीम के मुकाबले यह सस्ता पड़ता है। मान लिजिए आपने 10 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस लिया है और इसे 10 लाख और बढ़ाना चाहते हैं तो आप बेसिक टाॅप अप प्लान के जरिए ऐसा कर सकते हैं। अब आपको कवर भी 20 लाख का मिलेगा।
सुपर टाॅप अप प्लान
सुपर टाॅप प्लान रेगुलर टाॅप अप प्लान से थोड़ा अलग होता है। इसमें सिंगल क्लेम लिमिट नहीं होता है। मान लिजिए आपने 10 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस ले रखा है, लेकिन इसमें आप 15 और बढ़ाना चाहते हैं तो आपको सुपर टाॅप अप प्लान ले सकते हैं। अब आपका कवर 25 लाख हो गया है। मान लिजिए साल भर में आप हाॅस्पिटल में तीन बार एडमिट हुए और आपका पहली बार में खर्च 8 लाख, दूसरी बार 9 और तीसरी बार में 7 लाख आया तब भी आपके पास 1 लाख बचेगा।
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क्या रहेगा फायदेमंद
एक्सपर्ट के अनुसार अगर आपको लगता है कि एक बार से अधिक बार हाॅस्पिटल में एडमिट होना पड़ सकता है। तो सुपर टाॅप अप प्लान सबसे बेस्ट रहेगा। सामान्य इंश्योरेंस की अपेक्षा सुपर टाॅप प्लान सस्ता पड़ेगा।
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