संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का अनुमान, भारत का वार्षिक जीडीपी 2021 में 2019 से कम रहने के असार

0
10
Facebook
Twitter
Pinterest
WhatsApp

कोरोना वायरस महामारी पर लगाम लगाने के लिए टीकाकरण की शुरुआत के बावजूद भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2021 में 2019 के स्तर से नीचे रहने के आसार हैं। यह बात एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कही गई है।

‘एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए आर्थिक और सामाजिक सर्वे, 2021

कोविड-19 बाद मजबूत अर्थव्यवस्था की ओर शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2021-22 में 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि चालू वित्त वर्ष (2020-21) में महामारी और सामान्य कारोबारी गतिविधियों पर उसके प्रभाव के कारण इसमें 7.7 प्रतिशत से अधिक गिरावट होने का अनुमान है। 

1 अप्रैल से आयकर रिटर्न भरने का नया नियम, 2021 वित्त विधेयक में बदलाव
    
रिपार्ट में कहा गया है कि भारत में महामारी का प्रकाप शुरू होने से पहले जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) और निवेश धीमा पड़ चुका था। ”कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए भारत में जो लॉकडाउन लगाया गया, वह दुनिया में लगाए गए सबसे कड़े लॉकडाउन में से एक था। उसके कारण 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में आर्थिक बाधाएं अपने चरम पर थी।
    
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, बाद में लॉकडाउन नीतियों में बदलाव और संक्रमण दर में कमी से तीसरी तिमाही से आर्थिक पुनरूद्धार को गति मिली। हालांकि सालाना आधार पर शून्य के करीब वृद्धि दर के अनुमान के साथ चौथी तिमाही में पुनरूद्धार की गति हल्की पड़ी। 
     
रिपोर्ट के अनुसार, ”कोविड-19 मामलों में अच्छी-खासी कमी तथा टीकाकरण शुरू होने के बावजूद 2021 मेंभारत का आर्थिक उत्पादन (जीडीपी) 2019 के स्तर से नीचे रहने का अनुमान है।” इसमें कहा गया है कि देय के सामने कर्ज की लागत नीचे रखने के साथ गैर-निष्पादित कर्ज यानी फंसे कर्ज की समस्या को काबू में रखना भी चुनौती होगी।
     
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय(एनएसओ) के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2020-21 में भारत की वृद्धि दर में 8 प्रतिशत की गिरावट आएगी। यह महामारी के प्रभाव को बताता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन ने कोविड-19 से निपटने के लिए तुरंत और प्रभावी कदम उठाए। इससे वह दुनिया में एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है जो 2020 में सकारात्मक वृद्धि दर हासिल करने में सक्षम हो पाया।

औद्योगिक उत्पादन, बुनियादी ढांचा और आवास निवेश में मजबूत पुनरूद्धार तथा निजी खपत में कुछ सुधार से चौथी तिमाही में उसकी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रही जो महामारी पूर्व वृद्धि के स्तर से अधिक है। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि विकासशील एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर औसतन 2021 में 5.9 प्रतिशत जबकि 2022 में 5 प्रतिशत रहेगी। वहीं 2020 में एक प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है।

पैन को आधार कार्ड से फटाफट कर लें लिंक, बचे हैं सिर्फ 2 दिन
     
इसमें कहा गया है कि 2021 में मजबूत पुनरूद्धार की उम्मीद के बावजूद आर्थिक स्थिति में सुधार की दर उतार चढ़ाव भरी रहने की संभावना है। इसमें महामारी के बाद पुनरूद्धार में गरीब देश और वंचित तबके के लोग सबसे ज्यादा ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। रिपोर्ट में मजबूत और समावेशी पुनरूद्धार के लिये विभिन्न देशों में कोविड-19 टीकाकरण में अधिक समन्वय तथा क्षेत्रीय सहयोग की जरूरत पर बल दिया गया है।
    
 इसमें सिफारिश की गयी है कि अर्थव्यस्थाओं को राजकोषीय और मौद्रिक समर्थन जारी रखा जाना चाहिए क्योंकि समय से पहले इन कदमों को वापस लेने से दीर्घकालीन समस्याएं बढ़ सकती हैं।

Source link

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here