नई दिल्ली: कोरोना वायरस का खतरा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. हालांकि वैक्सीन के माध्यम से इससे सुरक्षा हासिल करने की कवायद कई देशों में जारी है. इसलिए दुनिया में कई देश वर्क फ्रॉम होम की नीति अपना रहे हैं. जिसमें कंपनियां अपने कर्मचारियों को घर से ही काम करने के लिए प्ररित कर रही हैं. हालांकि अब एक सर्वे में सामने आया है कि वर्क फ्रॉम होम न मिलने के कारण कई कर्मचारी नौकरी छोड़ने पर भी विचार करेंगे.
साल 2020 से ही ज्यादातर देशों की कंपनियां अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की सलाह दे रही हैं. हालांकि कई देशों में कोरोना के केस घटने लगे हैं, जिसके कारण अब कंपनियां अपने कर्मचारियों को ऑफिस भी बुलाने लगी है. जिसके कारण कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम न मिलने की स्थिति में कर्मचारियों ने नौकरी ही छोड़ दी.
वैक्सीनेशन अभियान
दरअसल, कोरोना वायरस से बचाव के लिए कई देशों में वैक्सीनेशन अभियान भी चलाया जा रहा है. कई देशों में लगातार लोगों को वैक्सीन दी जा रही है और कम होते कोरोना केस के चलते कंपनियों के कर्मचारियों को ऑफिस बुलाया जा रहा है. हालांकि इससे उन कर्मचारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जो घर से ही काम करना चाहते हैं.
वहीं 1000 अमेरिकी वयस्कों पर मई में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि यदि उनके नियोक्ता रिमोट वर्क को लेकर लचीले नहीं हैं तो 39% नौकरी छोड़ने पर विचार करेंगे. ब्लूमबर्ग न्यूज की ओर से मॉर्निंग कंसल्ट के जरिए किए गए सर्वेक्षण के अनुसार मिलेनियल्स और Gen Z के बीच यह आंकड़ा 49% था.
अप्रैल में जारी 2100 लोगों के फ्लेक्सजॉब्स सर्वेक्षण के अनुसार आवागमन की कमी और लागत बचत वर्क फ्रॉम होम के शीर्ष लाभ हैं. सर्वे में एक तिहाई से अधिक लोगों ने कहा कि वे वर्क फ्रॉम होम करके प्रति वर्ष कम से कम $5,000 बचाते हैं.
वर्क फ्रॉम होम में सहूलियत के साथ काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि साल 2020 ने दिखाया है कि बिना किसी यात्रा के किसी भी जगह से बहुत सारा काम किया जा सकता है. वहीं अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि महामारी के बाद का काम का माहौल कैसा दिखेगा. वहीं अमेरिका में फिलहाल 28 फीसदी कर्मचारी ऑफिस की तरफ वापस आ चुके हैं.
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