डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल का पहला चंद्र ग्रहण शुरू हो गया है। दोपहर 2 बजकर 17 मिनट पर शुरू हुआ चंद्रग्रहण शाम 7 बजकर 19 मिनट पर खत्म होगा। दो सालों में लगा यह च्रंद्रग्रहण कई मायनों में खास है। क्योंकि सुपरमून और ब्लड मून की घटनाएं एक साथ होंगी। बता दें कि चंद्र ग्रहण तब होता है जब चांद और सूरज के बीच धरती आ जाती है। इस समय धरती की परछाई चांद के पूरे या आंशिक हिस्से को ढक लेती है।
च्रंद्र ग्रहण शुरू हो चुका है और कुछ घंटों बाद, चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी से ढक जाएगा, जिसकी वजह से पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। पूर्ण चंद्रग्रहण करीब 15 मिनट तक रहेगा। यह पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में दिखाई देगा। यह प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर के कुछ हिस्सों से भी दिखाई देगा। भारत में च्रदग्रहण की बात करे तो ये पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्से, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों, ओडिशा के कुछ हिस्सों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से कुछ वक्त के लिए दिखाई देगा।
क्या होता है सुपरमून?
आमतौर पर चांद की दूरी धरती से 406,300 किलोमीटर रहती है। लेकिन अंडाकार कक्षा की वजह से यह अपनी कक्षा में चक्कर लगाते हुए धरती के नजदीक आ जाता है। इस समय इसकी दूरी कम होकर 356,700 किलोमीटर हो जाती है। इस वजह से यह 12 फीसदी बड़ा दिखाई देता है। इसलिए इसे सुपरमून कहते हैं। वहीं चांद अपनी कक्षा में दो बार ऐसी स्थिति में आता है जब वह धरती और सूरज के सामने एक ही हॉरिजोंटल प्लेन पर रहता है। यानी एक लाइन में। इस समय पृथ्वी पूरी तरह से चांद को ढक लेती है। इसे पूर्ण चंद्रग्रहण कहते हैं।
क्या है ब्लडमून?
जब चांद धरती की परछाई के पीछे पूरी तरह से ढक जाता है तब इस पर सूरज की कोई रोशनी नहीं पड़ती। इस वजह से यह लाल रंग का दिखने लगता है। इसे ही ब्लडमून कहा जाता है। अब बताते हैं कि लाल रंग क्यों? दरअसल, सूरज की रोशनी में सभी रंग होते हैं। पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरते समय नीला प्रकाश छन जाता है जबकि लाल भाग इससे होकर गुजरता है। इसलिए, आकाश नीला दिखता है और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लालिमा छा जाती है। चंद्र ग्रहण के मामले में, लाल प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरता है और यह चंद्रमा की ओर मुड़ जाता है। इससे चंद्रमा पूरी तरह से लाल दिखाई देता है।
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