इस बार होली का त्योहार तीन शुभ योग में मनाया जाएगा। भद्रा व पंचक का साया भी नहीं रहेगा। ज्योतिषविदों के मुताबिक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र विशिष्ट करण में इस बार की त्रियोगी होली है। सवार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग के साथ वृद्धि योग इन तीन योग से मिलकर इस बार त्रियोगी होली बन गई है।
होली पर इस बार 499 साल बाद दुर्लभ योग बन रहा है। साथ ही दो खास संयोग बन रहे हैं। होली पर इस बार ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। होली का आध्यात्मिक और धार्मिक रूप से बड़ा महत्व है। होलिका दहन की रात्रि को परम सिद्ध रात्रि माना गया है जो किसी भी साधना, जप, तप, ध्यान आदि के लिए बहुत श्रेष्ठ समय है। होलिका दहन के दिन किए गए दान-धर्म पूजन का विशेष महत्व है। ज्योतिषविद् बताते हैं कि इस बार होली पर भद्रा या पंचक का साया नहीं रहेगा। चंद्रमा कन्या राशि में होंगे। इस प्रकार के योग वाली होली में तीन रंगों से होली का खेलना त्रिआयामी शुभता बढ़ाएगा। इस बार होली पर 499 साल के बाद दुर्लभ योग बन रहा है। साथ ही दो खास संयोग बन रहे हैं। ज्योतिष के अनुसार इस तरह से ग्रहों का योग 499 साल पहले बना था। इस बार होली सर्वार्थसिद्धि योग में मनाई जाएगी। होली पर अमृतसिद्धि योग भी रहेगा।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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