ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार से 1.72 अरब डालर की वसूली के लिये विदेशों में करीब 70 अरब डालर की भारतीय संपत्तियों की पहचान की है। केयर्न एनर्जी की यह पहल यदि सफल होती है तो भारत भी पाकिस्तान और वेनेजुएला जैसे देशों की जमात में शामिल हो जायेगा जिन्हें मध्यस्थता अदालत के फैसले का पालन नहीं करने पर इस प्रकार की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है।
इस मामले की जानकारी रखने वाले तीन लोगों ने कहा कि रकम की वसूली के लिये जिन संपत्तियों की पहचान की गई है उनमें एयर इंडिया के विमान से लेकर भारतीय जहाजरानी निगम के जलपोत, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं गैस कंपनियों का सामान तथा सरकारी बैंकों की संपत्तियां शामिल हैं। उन्होंने जगह का नाम बताये बिना कहा कि ये संपत्तियां विभिन्न देशों में हैं।
केयर्न की योजना इन संपत्तियों पर कब्जा लेने के लिये अमेरिका से लेकर सिंगापुर की अदालतों में जाने की है। यदि भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत के फैसले को मानने से इनकार करती है तो यह कदम उठाया जायेगा। एक सूत्र ने कहा, ”भारत सरकार स्वाभाविक तौर पर इस प्रकार की जब्ती को चुनौती देगी लेकिन उसे अपनी संपत्ति को बचाने के लिये संपत्ति के बराबर की राशि बैंक गारंटी के तौर पर पर रखनी होगी। यदि अदालत में केयर्न के मामले को तवज्जो नहीं मिली तो भारत सरकार को यह गारंटी वापस मिल जायेगी और यदि अदालत यह कहती है कि भारत सरकार अपना दायित्व नहीं निभा पाई है तो गारंटी राशि केयर्न के सुपुर्द कर दी जायेगी।”
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केयर्न ने अपने दावे के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में मुकद्दमा जीता है। मध्यस्थता अदालत ने भारत के पिछली तिथि से प्रभावी एक कानून संशोधन के तहत लगाये गये कर को पलटते हुये नयी दिल्ली को कंपनी के बेचे गये शेयरों की राशि, जब्त किये गये लाभांश और कर रिफंड को लौटाने को कहा है।
भारत सरकार ने केयर्न से वसूलने के लिए उसके शेयर, लाभांश और रिफंड आदि अपने पास रख लिए हैं। केयर्न ने अब मध्यस्थता अदालत के फैसले के अनुरूप राशि को वसूल करने के लिये अदालत का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया है जिसमें यह मंजूरी ली जायेगी कि भारत सरकार द्वारा भुगतान नहीं करने की स्थिति में उसकी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को सरकार का रूप मानकर उनसे भुगतान की वसूली की जायेगी। इसी प्रकार का एक मुकदमा केयर्न ने 14 मई को न्यूयार्क की अदालत में दायर किया है।
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