वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 में नेचुरल गैस के उत्पादन में 8.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. नेचुरल गैस प्रोडक्शन 28,670.6 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर रहा, जो इसके पिछले साल की तुलना में आठ फीसदी कम है. हालांकि मार्च, 2021 में इसका प्रोडक्शन 2,683.9 मीलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर जो पिछले 24 महीने का सर्वोच्च उत्पादन है. हालांकि इस दौरान कच्चे तेल का उत्पादन 3.5 करोड़ टन रहा लेकिन यह भी पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 5.2 फीसदी कम है.
घरेलू उत्पादन से देश की 51 फीसदी जरूरत पूरी
देश के अंदर नेचुरल गैस का उत्पादन इसकी जरूरत का 51 फीसदी पूरा करता है . जबकि भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. वित्त वर्ष 2019-20 में भी 2018-19 की तुलना में नेचुरल गैस के उत्पादन में 2.8 फीसदी की गिरावट आई थी. नेचुरल गैस उत्पादकों पर दबाव बरकरार रहने वाला है क्योंकि घरेलू गैस कीमत को और छह महीनों के लिए दशक के न्यूनतम स्तर पर फिक्स कर दिया गया है.
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ब्रांच पीपीएसी की एक कीमत अधिसूचना के मुताबिक देश में घरेलू स्तर नेचुरल गैस का जो उत्पादन होता है वह आगे भी 1.79 डॉलर एमबीटीयू पर जारी रहेगी. यह कीमत 1 अप्रैल, 2021 से 30 सितंबर, 2021 तक के लिए प्रभावी रहेगी. यह कीमत देश के घरेलू प्राकृतिक गैस उत्पादन के 90 फीसदी से अधिक पर लागू है.
घरेलू गैस की कीमतों पर नियंत्रण से हो रही मुश्किल
एक अन्य अधिसूचना में गहरे जल, अत्यधिक गहरे जल, उच्च दबाव और उच्च तापमान अनुसंधानों से प्राकृतिक गैस उत्पादन की अधिकतम बिक्री दर को 4.06 डॉलर प्रति एमबीटीयू से घटाकर 3.62 डॉलर प्रति एमबीटूयू कर दिया गया है. चूंकि मुश्किल खनन से निकलने वाली गैस की मात्रा कम है इसलिए रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों पर असर पड़ता है. रिलायंस को इस तय कीमत या इससे कम कीमत पर अपना गैस उत्पाद बेचना पड़ता है. विश्लेषकों ने अगले छह महीनों के लिए गैस कीमत कम से कम थोड़ा मजबूत होने का अनुमान जताया था.
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