डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डीआरडीओ ने एंटी कोविड मेडिसिन, 2डीजी को लेकर नया प्रोटोकॉल जारी किया है। डीआरडीओ ने डॉक्टरों की देखरेख में ही इस मेडिसिन को लेने की सलाह दी है। डीआरडीओ के मुताबिक, ऐसे लोग जो डायबिटीज और हार्ट से जुड़ी बीमारी से पीड़ित है उन्हें इस दवा को लेने में बेहद सावधानी बरतनी होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे मरीजों पर इस मेडिसिन की स्टडी नहीं हुई है। डीआरडीओ की तरफ से ये भी कहा गया है कि 18 साल से कम उम्र वाले मरीजों और बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं को ये दवाई नहीं देनी है।
The 2DG medicine can be given to Covid-19 patients under the care and prescription of doctors. Directions for usage of this drug for Covid-19 patients as per DCGI approval are attached here for reference. For all queries regarding #2DG, please write to [email protected] pic.twitter.com/x19ayBoToG
— DRDO (@DRDO_India) June 1, 2021
बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 17 मई 2021 को स्वदेशी रूप से विकसित 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज या ‘2-डीजी’ का पहला बैच रिलीज किया किया था। 2-डीजी एंटी-कोविड-19 ड्रग है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 1 मई को मध्यम से गंभीर कोविड-19 रोगियों में सहायक चिकित्सा के रूप में आपातकालीन उपयोग के लिए फॉर्मूलेशन को मंजूरी दी थी। अभी ये दवा दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल और डीआरडीओ के कोविड हॉस्पिट्ल्स में ही उपलब्ध है। जून महीने के मध्य से ये अन्य जगहों पर भी ये मिलना शुरू हो सकती है।
ऑक्सीजन की निर्भरता को कम करती है दवा
2-DG को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) की लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (INMAS) ने हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी डॉ रेड्डीज लेबोरेटरीज (DRL) के सहयोग से डेवलप किया है। गवर्नमेंट रिलीज के अनुसार, क्लीनिकल ट्रायल डेटा से पता चलता है कि मॉलिक्यूल कोविड-19 से पीड़ित मरीजों की फास्टर रिकवरी में मदद करता है। ये दवा ऑक्सीजन की निर्भरता को भी कम करती है।
कैसे काम करती है 2-DG?
यह दवा शरीर में कोरोना से संक्रमित सेल्स में जमा हो जाती है। ग्लूकोज के धोखे में कोरोनावायरस इस दवा का इस्तेमाल करने लगते हैं। इस तरह वायरस को एनर्जी मिलना बंद हो जाती है और उनका वायरल सिंथेसिस बंद हो जाता है। यानी नए वायरस बनना बंद जाते हैं और बाकी वायरस भी मर जाते हैं। असल में यह दवा कैंसर के इलाज के लिए तैयार की जा रही थी। चूंकि यह केवल संक्रमित कोशिका में भर जाती है, इसके इस गुण के चलते केवल कैंसर-ग्रस्त कोशिकाओं को मारने की सोच से यह दवा तैयार की जा रही थी।
जेनेरिक मॉलिक्यूल से बनी है दवा
यह दवा जेनेरिक मॉलिक्यूल से बनी है। जेनेरिक होने की वजह से इस पर पेटेंट लागू नहीं होता और इसे भरपूर मात्रा में बनाया जा सकता है। दवा का दाम भी कम रहता है। जेनेरिक दवा में ब्रांडेड मूल दवा जैसे सभी गुण होते हैं। कच्चे माल के लिए भी विदेशों पर निर्भर रहने की जरुरत नहीं है। आम ग्लूकोज की तरह यह दवा सैशे (पाउच) में पाउडर के रूप में मिलेगी। इसे पानी में मिलाकर मरीज को देना होगा।
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