डिजिटल डेस्क, ढाका। बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामवादी गुट हिफाजत-ए-इस्लाम और प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी द्वारा रविवार सुबह से लेकर शाम तक बुलाए गए राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान हुई हिंसा में कम से कम 500 लोग घायल हो गए हैं। अधिकारियों ने इसकी सूचना दी है।
पल्टन पुलिस स्टेशन के प्रभारी अबू बकर सिद्दीकी ने आईएएनएस को बताया, गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि उपद्रवियों द्वारा किए गए हमलों में कम से कम 500 बेगुनाह घायल हो गए हैं और रविवार शाम तक हिफाजत के 500 सदस्यों पर हिंसा का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कर लिया गया है, हालांकि अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
हिफाजत-ए-इस्लाम द्वारा बुलाए गए बंद का असर ढाका, सिलहट, चट्टगांव, किशोरगंज, नोरशिंगदी, नारायणगंज, ब्राह्मणबारिया, राजशाही सहित अन्य जिलों में भी देखने को मिला। नारायणगंज मदनीनगर मदरसा के छात्रों ने सानारपार से शिमराईल चौराहे तक टायर जलाकर ढाका-चटगांव राजमार्ग पर सुबह से ही यातायात को बाधित किया।
सिलहट में हिफाजत का बैनर लेकर चल रहे जमात के सदस्यों ने विभिन्न इलाकों में जुलूस निकाले और कई क्रूड बम भी फोड़े। पुलिस ने चार लोगों की गिरफ्तारी की है, लेकिन पुलिस ने इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया है। देशव्यापी हड़ताल के चलते सिलहट बस स्टैंड से कोई भी बस सुबह से नहीं चलीं। इस दौरान हिफाजत के समर्थकों ने तेज धारदार हथियार, बांस और लोहे की छड़ के साथ हर प्रवेश द्वार पर यातायात को बाधित करने का प्रयास किया।
नोआखली के चार घायल पत्रकारों के अनुसार, हिफाजत ने चौमुहानी चौरास्ता में बंद के समर्थन में एक जुलूस निकाला और नोआखली टीवी जर्नलिस्ट्स फोरम के कार्यालय पर अचानक हमला कर दिया। विरोध प्रदर्शन के दौरान किशोरगंज में 50 से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें 10 पुलिसकर्मी भी शामिल थे। इनके अलावा, सत्तारूढ़ अवामी लीग के लगभग दो दर्जन सदस्यों को भी चोटें आईं। हिफाजत ने स्टेशन रोड पर स्थित पार्टी कार्यालय पर भी हमला किया और उसके साइनबोर्ड सहित बंगबंधु और शेख हसीना की तस्वीरों के साथ भी बर्बरता की।
पुलिस ने झड़प करने वाले समूहों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और हवा में गोलीबारी की और जिले में पुलिस, बीजीबी और आरएबी के अतिरिक्त कर्मी भी को तैनात कर दिए गए। यहां से वाहनों में आग लगाए जाने की भी सूचना मिली है। गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, जांच करने पर हमने पाया कि इन उग्रवादी समूहों के नेता पहले जमात-ए-इस्लामी के नेता रहे हैं।
प्रतिबंधित संगठन हरकत-उल-जिहाद, अंसार-उल्लाह बंगला टीम इत्यादि संगठनों का मुख्य नेतृत्व जमात-शिविर से आया है – जो 1971 में पाकिस्तान की सेना के सहायक रहे थे। और पीछे से जमात-ए-इस्लामी के आतंकियों ने कई साजिशें भी रची थीं। इसके अलावा, बश्केरेला की भागीदारी से यह स्पष्ट हो गया है कि आतंक और अराजकता फैलाने वाले आतंकवादी संगठन को अब नए रूप में शामिल किया गया है। हम सभी मुद्दों पर गौर कर रहे है और चाहे वे कहीं भी हों, किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा।
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