भारत में 5G नेटवर्क की चर्चा जोरों पर है. इस बीच देश की बड़ी टेलीकॉम कंपनी रिलायसं जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और एमटीएनएल को 5G ट्रायल की मंजूरी मिल गई है. खास बात ये है इन कंपनियों में से किसी ने भी 5G नेटवर्क इंस्टॉलेशन के लिए चीन की Huawei और ZTE जैसी कंपनियों की मदद नहीं लेगी.
‘चीन के कंट्रोल से चिंता’
वहीं 5G नेटवर्क को खुद इंस्टॉल करने के भारत के फैसले की अमेरिका ने तारीफ की है. स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता नेड प्राइस ने मंगलवार को कहा कि ये भारत सरकार का अच्छा फैसला है. उन्होंने कहा कि यह सच है कि हम चीन द्वारा अपने कंट्रोल करने वाले इक्विपमेंट से 5G नेटवर्क इंस्टॉल करने को लेकर चिंतित हैं.
‘चीन के योगदान से देश की सुरक्षा को खतरा’
प्राइस ने आगे कहा कि 5G नेटवर्क के किसी भी हिस्से पर नियंत्रण रखने या इसमें हिस्सा लेने के लिए Huawei और ZTE जैसे अप्रशिक्षित, अविश्वसनीय टेलीकम्युनिकेशन सप्लायर्स का योगदान देश की सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए खतरा हो सकता है.
खुद की टेक्नोलॉजी से ट्रायल करेगी जियो
बता दें कि 5G नेटवर्क ट्रायल के लिए टेलीकॉम कंपनियों ने एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग और सी-डॉट जैसे सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ हाथ मिलाया है. वहीं रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड खुद की 5G टेक्नोलॉजी का यूज करके ट्रायल करेगी. टेलीकॉम डिपार्टमेंट के इस फैसले से साफ हो गया है कि केंद्र सरकार 5G नेटवर्क इंस्टॉलेशन से चीन को दूर रखना चाहती है.
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