राष्ट्रीय रोजगार नीति में हो सकती है देरी, कोरोना के कारण सरकार ने रोके चार सर्वेक्षण

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कोरोना की दूसरी लहर ने केंद्र सरकार को चार प्रमुख सर्वेक्षणों का काम रोकने पर मजबूर कर दिया है। इसके चलते सरकार ने चार प्रमुख सर्वेक्षण प्रवासियों, घरेलू कामगारों, परिवहन क्षेत्र में पैदा किए गए रोजगार के अवसर और पेशेवरों द्वारा मुहैया कराई जा रही नौकरियों पर हो रहे महत्वपूर्ण सर्वेक्षणों को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है। इन सर्वेक्षणों को रोकने से इनके आधार पर तैयार होने वाली राष्ट्रीय रोजगार नीति में भी अब देरी हो सकती है।

इसकी जानकारी देते हुए दो सरकारी अधिकारियों ने कहा कि सर्वे करने वालों को घरों, कार्यालयों और कार्यक्षेत्रों में जाना मुश्किल होगा क्योंकि कोरोना वायरस की दूसरी लहर को रोकने के लिए राज्यों द्वारा लॉकडाउन और कर्फ्यू लगाए हैं। सरकार की पहली प्राथमिकता अभी कोरोना संक्रमण के चेन को तोड़ना है। आने वाले समय में जब कोरोना की स्थिति काबू में होगी तो फिर से सर्वेक्षण का काम शुरू किया जाएगा।

चार सर्वेक्षण औैर उसका उद्देश्य
1. प्रवासी श्रमिकों का अखिल भारतीय सर्वेक्षण

केंद्र सरकार की ओर से कराए जा रहे इस सर्वेक्षण का उद्देश्य देशभर में काम करने वाले प्रवासी श्रमिकों की आय, जीवन शैली और वित्तीय स्थिति का आकलन करना है। इसके बाद सामाजिक सुरक्षा के अंदर लाने के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनना है।

2. घरेलू कामगारों के बारे में अखिल भारतीय सर्वेक्षण

देशभर में औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों की स्थिति का आकलन करना और उनके बेहतरी के लिए कदम उठाना। इसमें न्यूनतम मजदूरी तय करने के साथ दूसरी सुविधाएं मिले इसके लिए योजना बनना।

3. पेशेवरों द्वारा सृजित रोजगार का अखिल भारतीय सर्वेक्षण

देश में राजगार के अवसर बढ़ाने के लिए पेशेवरों को क्या-क्या जरूरत है इस सर्वेक्षण के जरिये पता लगाने की योजना है। इस सर्वेक्षण में अधिवक्ता, डॉक्टर, सीए आदि को शामिल करना है। वो रोजगार बढ़ाने में कैसे मदद दे सकते हैं इसका आकलन करना है।

4. परिवहन के क्षेत्र में सृजित रोजगार का अखिल भारतीय सर्वेक्षण

देश में परिवहन क्षेत्र लाखों लोगों को रोजगार मुहैया कराने का काम करता है। इसमें टैक्सी एग्रीगेटर आने से इसका महत्व और बढ़ गया है। इस क्षेत्र में सर्वेक्षण कर रोजगार की स्थिति और बेहतरी के लिए कदम उठाना है।

राष्ट्रीय रोजगार नीति पर पड़ेगा बुरा प्रभाव

सर्वेक्षण में देरी का राष्ट्रीय रोजगार नीति पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है और यही बात सरकार को खटक रही है। चार लेबर कोड्स संसद द्वारा पहले ही पारित किया जा चुका है और राष्ट्रीय नौकरियों और सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण से सामने आने वाले परिणामों से इस नीति का आधार बनने की उम्मीद थी। लेबर ब्यूरो के महानिदेशक डी.पी.एस नेगी ने कहा, हमने चार सर्वेक्षणों को फिलहाल स्थगित कर दिया है क्योंकि कोविड -19 से बिगड़ती मौजूदा स्थिति की वजह से घरों में जाकर सर्वेक्षण करना लगभग असंभव हो गया है।

सर्वेक्षणों पर कोरोना महामारी का साया

चीफ लेबर कमिश्नर नेगी ने कहा, हम अपनी विशेषज्ञ समिति से बात कर रहे हैं कि कैसे इन सर्वेक्षणों में नई वास्तविकताओं को शामिल किया जाए। यह एक कठिन परिस्थिति है और हमारे फील्ड वर्कर को घरों और कार्यालयों में भेजकर सर्वेक्षण कराने से उनके स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। दूसरी बात यह भी है कि इस संकट के समय में कोई भी व्यक्ति सर्वेक्षणकर्ताओं को सर्वे करने की इजाजत नहीं देगा।

सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर आकलन होगा

केंद्रीय श्रम मंत्रालय के मुताबिक, प्रवासियों का सर्वेक्षण ‘प्रवासी श्रमिकों की सामाजिक आर्थिक और कामकाजी परिस्थितियों’ और ‘प्रवासी श्रमिकों पर कोविड महामारी के प्रभाव के आकलन’ पर आधारित होगा, जबकि घरेलू श्रमिकों का सर्वेक्षण, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति, नौकरी की वरीयता और उनकी आर्थिक स्थिति पर महामारी के प्रभाव पर आधारित होगा। वहीं, परिवहन क्षेत्र के सर्वेक्षण का आधार इस क्षेत्र में पैदा किए गए रोजगार के अवसर को आंकना है जिसमें टैक्सी एग्रीगेटर्स भी शामिल थे। वहीं, पेशवरों के सर्वेक्षण में यह पता लगाने की कोशिश करना है उनके द्वारा कितने लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराए जा रहे हैं। इसमें अधिवक्ता, डॉक्टर और चार्टर्ड अकाउंटेंट शामिल थे।

नवंबर तक सर्वेक्षण रिलीज होने वाली थी

सर्वेक्षण नवंबर तक जारी होने वाली थी। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने 31 मार्च को कहा था कि सर्वेक्षण श्रम और रोजगार के क्षेत्र में प्रभावी नीति निर्धारण के लिए अत्यधिक उपयोगी डेटा उत्पन्न मुहैया कराएगा।

श्रमिकों को समाजिक सुरक्षा देने की तैयारी

केंद्र सरकार की ओर से किए जा रहे श्रर्वेक्षण में गिग वकर्स और श्रम बाजार का अध्यन कर औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के लिए समाजिक सुरक्षा और कल्याण के उपायों को डिजाइन में मदद करना है। इसके अलावा बड़े अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक रूप देने के लिए असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के अंदर लाने और कम आय वाले परिवारों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाने के लिए एक राष्ट्रीय रोजगार नीति की मांग बढ़ रही है।

एक-दो महीने में सर्वे शुरू होने की उम्मीद

चीफ लेबर कमिश्नर नेगी ने कहा कि श्रम ब्यूरो एक-दो महीने में सर्वेक्षण की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए आशान्वित है, क्योंकि स्थिति में सुधार होने पर फील्डवर्क फिर से शुरू करने की अनुमति मिल जाएगी। यह सर्वेक्षण काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय रोजगार बाजार और प्रवासी श्रमिकों की समग्र तस्वीर प्रस्तुत करने में मदद करेगा। गौरतलब है कि 2020 में देशव्यापी लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों का पलायन का मुद्दा दुनिया का ध्यान इस ओर आकर्षित किया था।

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