Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि विद्यार्थियों को जीवन में यदि अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना है तो कुछ बातों पर अमल करना चाहिए. चाणक्य के अनुसार-
कामं क्रोधं तथा लोभं स्वाद श्रृंगारकौतुकम्।
अतिनिन्द्रारतिसेवा व विद्यार्थी हृयष्ट वर्जयेत्।।
चाणक्य के इस श्लोक का अर्थ है कि विद्यार्थी को काम, क्रोध लोभ, स्वाद, श्रृंगार, अधिक खेल तमाशे, अधिक सोना और अधिक सेवा करने का त्याग करना चाहिए. चाणक्य के अनुसार ये सभी चीजे विद्यार्थी जीवन में हानि पहुंचाती हैं और विद्यार्थी को लक्ष्य से दूर करती हैं. स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि जब तक व्यक्ति को उसके लक्ष्य की प्राप्त न हो जाए तब तक व्यक्ति को रूकना नहीं चाहिए. निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए.
गीता के उपदेश में भी भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को काम, क्रोध और लोभ के बारे में बताते हुए कहते हैं कि ये सभी मनुष्य को श्रेष्ठ बनाने में बाधक हैं. इनका समय रहते त्याग ही उचित निर्णय है. विद्यार्थियों को यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो इन बातों पर गौर करना चाहिए-
समय पर कार्यों को करें
विद्वानों का मानना है कि जो विद्यार्थी अपने सभी कार्यों को समय पर पूर्ण करता है, उसे कभी असफलता का मुख नहीं देखना पड़ता है. विद्यार्थी जीवन में समय का विशेष महत्व बताया गया है. इसलिए समय का सम्मान करते हुए सभी कार्यों को तय समय सीमा में पूर्ण करने का प्रयास करना चाहिए.
अनुशासन का पालन करें
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का विशेष महत्व बताया गया है. जिस विद्यार्थी का जीवन अनुशासन से रहित है उसके लिए सफलता एक स्वप्न है. विद्यार्थी को कठोर अनुशासन का पालन करना चाहिए तभी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है.
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