ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। जन्म कुंडली में सूर्य सम्मान व उन्नति का कारक माना गया है। कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत व शुभ स्थान पर विराजमान होने पर धन, वैभव व सम्मान मिलता है। सूर्य के जन्म कुंडली में कमजोर होने पर भारी नुकसान तक उठाना पड़ सकता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं। लेकिन क्या आप ज्योतिष शास्त्र में वर्णित सूर्य से बनने वाले तीन शुभ योग के बारे में जानते हैं? कहा जाता है कि सूर्य ग्रह से बनने वाले ये ग्रह जातक को सफलता, बुद्धि और धन देते हैं। जानिए इनके बारे में-
वेशि योग- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर जन्म कुंडली में सूर्य के अगले घर में किसी ग्रह से स्थित होने से वेशि योग बनता है। इस ग्रह पर राहु, केतु और चंद्रमा नहीं होने चाहिए। सूर्य कमजोर स्थिति व शुभ घर में विराजमान होना चाहिए। सूर्य के अगले घर में स्थित ग्रह को वेशि योग कहा जाता है। कहा जाता है कि इस योग में व्यक्ति के बिगड़े काम बन जाते हैं। इस दौरान जातक को सफलता हासिल करने में कठिन मेहनत नहीं करनी पड़ती है। धन लाभ के योग बनते हैं।
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2. वाशि योग- ज्योतिष के अनुसार, जन्म कुंडली में सूर्य के पिछले घर में वाशि योग बनता है। इस ग्रह में राहु, केतु और चंद्रमा नहीं होने चाहिए। इसके साथ ही सूर्य पाप ग्रहों से मुक्त होना चाहिए। उस ग्रह को वाशि योग बनता है। इस योग के बनने से व्यक्ति सुख-सुविधाओं भरा जीवन बिताता है। विदेश यात्राओं का योग बनता है। जातक को सफलता हासिल होती है।
3. उभयचारी योग- अगर सूर्य के पहले और पिछले भाव में ग्रह हो तो उसे उभयचारी ग्रह कहते हैं। इस योग में चंद्रमा, केतु और राहु नहीं होना चाहिए। इस योग में जातक को कम मेहनत में सफलता हासिल होती है। कार्यक्षेत्र में प्रसिद्धि हासिल होती है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)
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