देश में वरिष्ठ नागरिकों के फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज की रकम पिछले 10 सालों में करीब 45 फीसदी घट गई है। वहीं वरिष्ठ नागरिकों की दूसरी बचत स्कीमों में भी ब्याज में कमी देखने को मिली है। इसके चलते उनके जमा पर होने वाला फायदा लगातार घटता ही जा रहा है। देश में वरिष्ठ नागरिकों की संक्या करीब 15 करोड़ होने का अनुमान है। ब्याज दर घटने से वह सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं।
आंकड़ों के मुताबिक साल 2011 में सरकारी बैंकों में वरिष्ठ नागरिकों को फिक्स्ड डिपॉजिट पर अधिकतम ब्याज 9.75 फीसदी मिल जाया करता था जो अब साल 2021 में घटकर एक साल के जमा पर 5.5 फीसदी पर पहुंच गया है। इस हिसाब से लोगों को पहले होने वाली ब्याज की कमाई का बड़ा हिस्सा घटने लगा है।
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आंकलन के मुताबिक यदि 60 साल के ऊपर का एक व्यक्ति 2011 में 20 लाख रुपए फिक्स्ड डिपॉजिट करता था तो उसको साल में 1,95,000 रुपए ब्याज के तौर पर मिल जाते थे। इस हिसाब से हर महीने 16,250 रुपए की कमाई पक्की थी। लेकिन घटी हुई ब्याज दरों की वजह से आज की तारीख में 20 लाख रुपए फिक्स्ड डिपॉजिट करने पर 1,10,000 रुपए ही मिलेंगे। यानि महीने के 9,166 रुपए।
इसके अलावा अगर सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम की बात की जाए तो उसे ब्याज में भी बड़ा उतार चढ़ाव देखने को मिला है। 2011 में इसमें जमा पर ब्याज 9 फीसदी होता था लेकिन आज घटकर 7.4 फीसदी रह गया है। विशेषज्ञों की राय में ये ब्याज दरें पिछले एक दशक में हुए आर्थिक बदलाव की वजह से घटी हैं।
टैक्स और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ योगेंद्र कपूर ने हिंदुस्तान को इन आंकलनों के जरिए बताया है कि मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में सुस्ती के चलते अर्थव्यवस्था में कर्ज की मांग घटी है। मांग में रफ्तार बनाए रखने के लिए रिजर्व बैंक को रेपो रेट घटाने पड़े हैं। इसी वजह से जमा पर मिलने वाला ब्याज भी घटा है। उन्होंने बताया कि आज बैंकों के पास लिक्विडिटी ज्यादा है जिससे कर्ज तो दिया जा सकता है लेकिन लोगों को जमा पर मिलने वाले ब्याज का नुकसान उठाना पड़ेगा। वरिष्ठ नागरिकों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है।
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