164 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने के बावजूद इनकम टैक्स के नए पोर्टल पर 90 तरह की दिक्कतें बरकरार
नया आयकर पोर्टल करदाताओं, कर पेशेवरों के साथ सरकार के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। करदाताओं की परेशानी दूर करने और कम समय में रिटर्न की प्रक्रिया पूरी करने के मकसद से सरकार इस पोर्टल को बनाने के लिए इन्फोसिस को 164 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान कर चुकी है। लेकिन जून में शुरुआत के बाद ही पोर्टल की परेशानियां कम नहीं हो रही हैं। इसे लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इन्फोसिस को कई बार हिदायत भी दे चुकी हैं।
यह भी पढ़ें: आयकर पोर्टल दो दिन से ठप, दो माह बाद भी पोर्टल में परेशानियां कायम
करताताओं और कर पेशेवरों से शिकायत मिलने के बाद वित्त मंत्री ने जून में इन्फोसिस अधिकारियों संग बैठक भी की थी। इसमें इन्फोसिस की ओर से पोर्टल की परेशानी दूर करने का आश्वासन दिया दिया गया था। हालांकि, दो माह बाद भी मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। इन्फोसिस को 2019 में अगली पीढ़ी की आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रणाली विकसित करने का अनुबंध मिला था। इसके पीछे मकसद आयकर रिटर्न की जांच परख की प्रक्रिया को 63 दिन घटाकर एक दिन करना है। सरकार जनवरी, 2019 से जून, 2021 तक इन्फोसिस को इसके लिए 164.5 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है।
वित्त मंत्री कर चुकी हैं अधिकारों संग बैठक
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर पोर्टल में आ रही परेशानियों की समीक्षा करने के लिए इन्फोसिस के अधिकारियों के साथ 22 जून को बैठक की थी। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में एक लिखित जवाबा में जानकारी दी थी भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान (आईसीएआई), कर पेशेवर और करदाता सहित विभिन्न हितधारकों की ओर से पोर्टल में 90 दिक्कतों / समस्याओं सहित 2,000 से अधिक मुद्दों का विवरण देने वाले 700 से अधिक ई-मेल प्राप्त हुए थे। इन्फोसिस को इसके लिए कई बार हिदायत दी जा चुकी है।
वेबसाइट सुस्त, लेकिन नोटिस भेजने में चुस्त
देश में आयकर पोर्टल भले ही ठीक से काम न कर रहा हो लेकिन आयकर विभाग का डाटा एनालिटिक्स सिस्टम पूरी तरह से काम कर रहा है और टैक्स के मामलों में पेनाल्टी के नोटिस भी लोगों को भेजे जा रहे हैं। हिंदुस्तान को सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक ऐसे करदाता जिनके ईमेल सिस्टम में अपडेट नहीं हैं, उनमें से देश भर में करीब 40-45 हजार लोगों को विभाग की तरफ से नोटिस भेजने शुरू कर दिए गए हैं।
ई-मेल नदारद तो पते पर भेजे जा रहे नोटिस
इनमें से करीब 25 फीसदी मामलों में विभाग के पास ऐसे लोगों से जुड़े ई-मेल का पता मौजूद नहीं है। यही वजह है कि उन लोगों को नोटिस, उनके पते पर भेजे जा रहे हैं। सूत्रों ने ये भी बताया है कि नोटिस के दायरे में ऐसे प्रोफेशनल्स भी शामिल हैं, जिन्हें कई मामलों में टैक्स से छूट है और उन्होंने उसी आधार पर रिटर्न दाखिल कर दिया। सिस्टम के जरिए ये जानकारी मिली कि उन्होंने दूसरे जरिए से होने वाली आय का पूरा ब्योरा आयकर विभाग को नहीं दिया है। मामले की स्क्रुटनी के बाद अधिकारियों ने उन पर जुर्माना लगाया है।
इन परेशानियों का करना पड़ रहा सामना
ई-प्रक्रियाओं से संबंधित टैब पूरी तरह काम नहीं कर रहा। ऑनलाइन सुधार विकल्प उपलब्ध नहीं है। 5, 6, 7 में आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए जेएसओएन सुविधा उपलब्ध नहीं है। पिछली वेबसाइट की तरह इस पोर्टल में विवाद से विश्वास के बारे में व्यापक जानकारी देने के लिए कोई टैब नहीं है। साथ ही लंबित कार्रवाई टैब के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है। आयकर विशेषज्ञों का कहना है कि रेमिटेंस से संबंधित फॉर्म 15सीए/सीबी यूटिलिटी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इसे भौतिक रूप से भरने की अनुमति है, लेकिन यह काफी समय लेने वाली प्रक्रिया है।
Source link