20 Years of Lagaan: आमिर खान ने कुछ यूं बयां की ‘लगान’ के शुरू होने की कहानी

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नई दिल्ली: जब डायरेक्टर आशुतोष गोवारिकर ने आमिर खान को ‘लगान’ की कहानी सुनाई थी तो आमिर को लगा था कि ये कहानी उनके लायक नहीं है. उन्हें ये बहुत ही जटिल विषय लगा. लेकिन बाद में उन्होंने फिल्म में काम किया और यह भारतीय सिनेमा के इतिहास में बहुत बड़ी फिल्म के रूप में जुड़ गई.

इनसे मिली फिल्म प्रोडक्शन की प्रेरणा

क्रिकेट के लिहाज से नौसिखिये गांव वालों और उस समय भारत पर राज करने वाले अंग्रेजों के बीच क्रिकेट मैच पर बेस्ड फिल्म को सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा की फिल्म की श्रेणी में ऑस्कर में नॉमिनेशन मिला. आमिर ने बाद में इस फिल्म में न सिर्फ काम करने का मन बनाया बल्कि इसे 2001 में अपने प्रोडक्शन की पहली फिल्म भी बनाया. आमिर ने कहा कि उन्होंने गुरुदत्त, वी शांताराम, के आसिफ, राज कपूर और बिमल रॉय जैसे बड़े निर्देशकों से प्रेरणा लेकर फिल्म प्रोडक्शन का फैसला किया.

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‘लगान’ के 20 साल

फिल्म के 20 साल पूरे होने के मौके पर आमिर ने कहा, ‘उन लोगों को कहानी पर भरोसा होता था तो वे उसे बनाते थे. वे विषयों के चयन में बहुत साहसिक रुख रखते थे. मैंने भी जब ‘लगान’ में काम करने और इसका प्रोडक्शन करने के बारे में सोचा तो कुछ ऐसी ही भावना थी.’

कुछ ऐसी थी गोवारिकर की सोच

आमिर ने कहा कि उन्हें गोवारिकर की सोच पर भरोसा था और उन्हें ‘लगान’ में काम करने को लेकर शुरुआती झिझक कुछ इन वजहों से थी कि इसमें कई सारे नियमों को तोड़ा गया. यह पूरी बॉलीवुड फिल्मों से थोड़ी अलग थी, ब्रिटिश कालीन भारत की पृष्ठभूमि में बनी थी और करीब चार घंटे लंबी थी. आमिर ने बताया, ‘आशुतोष ने मुझे कहानी सुनाई तो मुझे वाकई पसंद आई लेकिन मैंने सोचा कि फिल्म बनाने के लिहाज से बहुत जटिल विषय है और मैं इसमें नहीं पड़ने वाला. आशुतोष बॉलीवुड में इस फिल्म की स्क्रिप्ट लेकर लोगों से मिलने लगे और हर छह महीने में मैं इसके बारे में सुनता था. यह 1997-98 की बात है जब वह कहानी लेकर घूम ही रहे थे.’

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‘लगान’ ने तोड़े कई नियम!

जब आमिर से पूछा गया कि क्या यह उनके लिए ऐसी साहसिक स्क्रिप्ट का साथ देने की शुरुआत थी तो उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा फिल्मों के चुनाव में इस सोच से ही काम किया है, फिर चाहे ‘अंदाज अपना अपना’ हो या ‘जो जीता वही सिकंदर’, या फिर ‘लगान’ से पहले आई ‘सरफरोश’ हो. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन ‘लगान’ के संदर्भ में कहूं तो यह ऐसे समय में बनी थी जब लोग डिजाइनर कपड़े पहन रहे थे और स्विट्जरलैंड में शूटिंग कर रहे थे. यहां हम ‘बंडी’ और ‘धोती’ पहन रहे थे और ‘अवधी’ में बात कर रहे थे. हम मुख्यधारा के सिनेमा के कई नियमों को तोड़ रहे थे.’

आमिर ने कहा कि उन्हें खुशी है कि 2001 में इस फिल्म के साथ वह फिल्म प्रोड्यूसर बने और अपना बैनर शुरू किया. इससे उन्हें कई बड़े फैसले लेने में मदद मिली, जैसे एक बार के शेड्यूल में शूटिंग पूरी करना. उन्होंने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. इसके अलावा उन्होंने उस समय के अत्याधुनिक सिंक-साउंड रिकॉर्डिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया और पहली बार असिस्टेंट डायरेक्टर की व्यवस्था शुरू की.

आमिर ने नहीं मानी करण और आदित्य की बात

उन्होंने कहा, ‘मुझे याद है कि फिल्म की शूटिंग से कुछ दिन पहले एक पार्टी में मैं करण जौहर और आदित्य चोपड़ा से मिला तो उन्होंने मुझसे कहा कि मैं बड़ी गलती कर रहा हूं. उन्होंने मुझे सलाह दी कि एक ही शेड्यूल में शूटिंग नहीं करूं. उन्होंने कहा कि बहुत गड़बड़ हो जाएगी लेकिन मैं अपनी सोच पर कायम रहा. और आज आदित्य चोपड़ा और करण दोनों सिंक साउंड का इस्तेमाल करते हैं और एक शेड्यूल में शूटिंग करते हैं.’

25 करोड़ में बनी ‘लगान’

आमिर ने कहा कि ‘लगान’ में काम करना और इसे प्रोड्यूस करना उनके जीवन का ‘महत्वपूर्ण अध्याय’ रहा है. उन्होंने कहा कि गुजरात में भुज से 35 किलोमीटर दूर एक गांव में टीम ने लोकल लोगों की मदद से हर घर को अपने हिसाब से तैयार किया. यह अपने जमाने की सबसे महंगी फिल्म थी. उन्होंने 12 करोड़ के बजट के साथ फिल्म शुरू की थी और अंतत: इस पर 25 करोड़ रुपये की लागत आई.



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