ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को एक प्रमुख ग्रह माना गया है। शनि को सभी ग्रहों में न्यायाधीश का स्थान प्राप्त है। शनि को एक क्रूर ग्रह कहा जाता है, लेकिन शनिदेव अशुभ फल ही देते हैं, ऐसा नहीं है। शनि देव शुभ फलों को भी प्रदान करते हैं। शनि देव की कृपा पाने के लिए व्यक्ति का अच्छे कर्म करना जरूरी है।
शनि अन्य ग्रहों की तुलना में धीमी चाल में चलते हैं। नौ ग्रहों में सबसे धीमी चाल शनि की मानी जाती है। शनि को एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने में कम से कम ढाई साल का समय लगता है, जबकि एक च्रक पूरा करने में शनि 30 साल का समय लेते हैं।
मकर राशि में शनि का गोचर-
शनिदेव वर्तमान में अपनी स्वराशि मकर में हैं। शनि को मकर राशि का का स्वामी माना जाता है। मकर राशि में शनि ने 24 जनवरी 2020 को गोचर किया था। अब शनिदेव 29 अप्रैल 2022 को कुंभ राशि में गोचर करेंगे। शनि का साल 2021 में राशि परिवर्तन नहीं हुआ है। शनि ने अपने नक्षत्र परिवर्तन से सभी राशियों पर प्रभाव डाला है। शनि वर्तमान मं श्रवण नक्षत्र में विराजमान हैं।
शनि का प्रभाव-
शनिदेव की चाल बहुत धीमी है। जिसके कारण यह हर कार्य को धीमी गति से करते हैं। ऐसे में शनि की महादशा से पीड़ित राशियों को कड़ी मेहनत के बाद ही सफलता हासिल होती है। शनि को न्याय का देवता माना जाता है। कहा जाता है कि शनि की कुदृष्टि से बचने के लिए छल-कपट, अनैतिक कार्यों और अपमान आदि करने से बचना चाहिए।
किन राशियों के लोग रहें सावधान-
वर्तमान में मिथुन व तुला राशि पर शनि ढैय्या और धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़े साती का असर है। शनि की महादशा से पीड़ित राशि वालों को इस दौरान हर कार्य सतर्कता के साथ करना चाहिए।
शनि के उपाय-
1. शनि मंदिर में शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।
2. शनिवार को शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाएं।
3. लोगों का सम्मान करें।
4. शनिदेव से संबंधित वस्तुएं जैसे जूते, कंबल और काली उड़द आदि का दान करें।
5. झूठ न बोलें।
6. गलत कार्यों से दूर रहें।
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