विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन को मलेरिया मुक्त घोषित कर दिया है. चीन को ये तमगा 30 जून को मिला. उसे मच्छर जनित बीमारी को खत्म करने के लिए 70 साल तक प्रयास करना पड़ा. देश में सालाना 1940 के दशक में संक्रामक बीमारी के 3 करोड़ मामले दर्ज किए जाते थे, लेकिन अब लगातार चार वर्षों से एक भी घरेलू स्तर पर मामले उजागर नहीं हुए.
70 साल के लंबे प्रयास के बाद मलेरिया मुक्त हुआ चीन
वैश्विक स्वास्थ्य संस्था ने मलेरिया से देश के छुटकारा पाने पर चीन के लोगों को बधाई दी है. उसने बताया कि ये सफलता कड़ी मेहनत से हासिल की गई और लक्षित और निरंतर कार्रवाई के चार दशक बाद मिली. विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस अधानोम घेब्रेरियेसेस ने कहा, “इस एलान के साथ चीन बढ़ते हुए उन देशों की कड़ी में शामिल हो गया है जिन्होंने दिखाया है कि दुनिया का भविष्य मलेरिया-मुक्त है.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया-फ्री होने पर दी बधाई
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि चीन ने दशकों पहले जोखिम वाले इलाकों में बीमारी की रोकथाम के लिए दवा वितरित करना शुरू किया था. मच्छर-प्रजनन वाले क्षेत्र भी व्यवस्थित ढंग से कम हुए हैं और कीट निवारक और सुरक्षात्मक नेट्स को बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से मलेरिया मुक्त प्रमाणित चीन 40वां क्षेत्र बन गया है. 80 के दशक में चीन मलेरिया की रोकथाम के लिए दवा युक्त परतवाली मच्छरदानी का इस्तेमाल करनेवाला दुनिया का पहला देश था.
शून्य स्वदेशी मामलों के लगातार चार साल बाद चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमाण के लिए 2020 में आवेदन किया था. विशेषज्ञों ने भविष्य के प्रकोप की रोकथाम की तैयारियों और मलेरिया-फ्री प्रमाण की पुष्टि के लिए इस साल मई में देश की यात्रा की थी. मलेरिया का ट्रांसमिशन संक्रमित एनोफेलीज मच्छर के काटने से होता है. अगर समय रहते इलाज न कराया जाए, तो उसमें जानलेवा बनने की संभावना है. उसके लक्षणों में तेज बुखार, सिर दर्द, ठंड लगना इत्यादि प्रमुख हैं.
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