देशभर में ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार 21 जुलाई को मनाया जाएगा. दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के नायब शाही इमाम सैयद शाबान बुखारी ने ईद-उल-अजहा ( बकरीद) 21 जुलाई को मनाने की घोषणा की. बीती रात दिल्ली के आसमान में बादलों के छाए रहने की वजह से चांद का दीदार नहीं हो सका. लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय समेत कई राज्यों में चांद नजर आया. इस बार केरल में भी बकरीद का त्योहार 21 जुलाई को मनाया जाएगा.
21 जुलाई को पूरे देश में बकरीद का पर्व मनाया जाएगा. ईदगाहों और प्रमुख मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज सुबह 6 बजे से लेकर 10.30 बजे तक अदा करने की तैयारी है. कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले साल लोगों को घर ही नमाज अदा करनी पड़ी थी, लेकिन इस बार लोगों को ईदगाहों और मस्जिदों में जमात के साथ नमाज अदा करने की उम्मीद है. ईद उल अजहा इस्लामी कैलेंडर का 12वां और आखिरी महीना होता है. बकरीद के दिन सुबह में नमाज अदा करने के साथ ही ईद मनाने की शुरुआत हो जाती है. इस्लाम अपने अनुयायियों को खुशी के मौके पर गरीबों को नहीं भूलने की सीख देता है.
जानिए क्या है बकरीद का महत्व
दुनियाभर के मुसलमान ईद की तरह कुर्बानी पर भी गरीबों का खास ख्याल रखते हैं. कुर्बानी के सामान का तीन हिस्सा बांटकर एक हिस्सा गरीबों को दिया जाता है. दो हिस्सों में एक खुद के लिए और दूसरा हिस्सा दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए रखा जाता है. मुसलमानों का विश्वास है कि पैगंबर इब्राहिम की कठिन परीक्षा ली गई. अल्लाह ने उनको अपने बेटे पैगम्बर इस्माइल की कुर्बानी देने को कहा. इब्राहिम आदेश का पालन करने को तैयार हो गए थे, लेकिन अल्लाह ने उनके हाथ को रोक दिया. उसके बजाए, उन्हें एक जानवर जैसे भेड़ या मेमना की कुर्बानी करने को कहा. इस तरह, पैगंबर इब्राहिम अल्लाह की तरफ से ली गई परीक्षा में सच्चे साबित हुए. यहूदी, ईसाई और मुस्लिम तीनों पैगंबर इब्राहिम, इस्माइल को अपना अवतार मानते हैं.
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