डिजिटल डेस्क, मुंबई। विश्व क्रिकेट के महानतम बल्लेबाजों में से एक सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) आज अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं। गावस्कर ने इंटरनेशनल क्रिकेट में अपना डेब्यू वेस्ट इंडीज के खिलाफ 6 मार्च, 1971 को क्वीन्स पार्क ओवल में किया था। उन्होंने क्रिकेट के ऐसे दौर में इंटरनेशनल डेब्यू किया था, जब भारत को उतनी मजबूत टीम नहीं समझा जाता था, लेकिन गावस्कर का खौफ हर विपक्षी गेंदबाजों के दिलों में साफ देखा जा सकता था।
1983 World Cup-winner
233 international games
13,214 international runs
First batsman to register 10,000 runs in TestsHere’s wishing Sunil Gavaskar – former #TeamIndia captain & one of the finest batsmen to have ever graced the game – a very happy birthday. pic.twitter.com/8tQeMlCbSn
— BCCI (@BCCI) July 10, 2021
पहली ही सीरीज में विश्व रिकॉर्ड
कैरेबियाई धरती पर 1971 में मुंबई के एक ऐसे खिलाड़ी ने पदार्पण किया था, जिसने अपनी पहली ही सीरीज में इतने रन बना डाले कि आज भी यह रिकॉर्ड बरकरार है। वेस्टइंडीज जैसी टीम को उसके घर में भारत ने पहली बार मात दी और पहली बार सीरीज पर कब्जा भी जमाया।
‘लिटिल मास्टर’ के नाम से मशहूर पांच फुट पांच इंच के सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ उस सीरीज में 4 टेस्ट मैचों में खेलकर रिकॉर्ड 774 रन (दोहरा शतक सहित 4 शतक और तीन अर्धशतक) बनाए थे, जो आज भी डेब्यू करते हुए पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में सर्वाधिक रन बनाने का विश्व रिकॉर्ड है।
…तो क्या आज मुछाआरा होते गावस्कर
सुनील गावस्कर ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘सनी डेज’ में अपनी जिंदगी से जुड़े सबसे दिलचस्प किस्से को बयां किया है जिसके बारे में काफी कम लोग जानते हैं। ये एक ऐसी घटना थी जिसकी वजह से गावस्कर की पूरी जिंदगी एक झटके में बदल सकती थी, अगर ऐसा होता तो वो शायद कभी क्रिकेटर नहीं बन पाते।
सुनील गावस्कर ने लिखा है कि वो कभी क्रिकेटर नहीं बन पाते और न ही ये किताब लिखी गई होती अगर उनकी जिंदगी में तेज नजरों वाले चाचा नारायण मासुरकर नहीं होते।
उन्होंने बताया कि जब उनका जन्म हुआ था तब नारायण मासुरकर उनको देखने अस्पताल आए थे और उन्होंने सुनील के कान पर एक निशान देखा। अगले दिन वो फिर अस्पताल आए और एक बच्चे को गावस्कर समझकर गोद में उठाया, तो मासुरकर ने देखा कि इस बार कान के पास बर्थमार्क नहीं था।
इसके बाद पूरे अस्पताल में नन्हें सुनील गावस्कर की तलाश शुरू हो गई, जिसके बाद वो एक मछुआरे की पत्नी के पास सोते हुए मिले। शायद नर्स की गलती की वजह से ऐसा हुआ था। गावस्कर कहते हैं कि ‘अगर उस दिन चाचा ने ध्यान नहीं दिया होता, तो शायद मैं आज वो मछुआरा होता।’
क्रिकेट में असाधारण आंकड़े
सुनील गावस्कर ने अपने टेस्ट करियर के16 साल (1971-1987) में 125 टेस्ट मैच खेले और 34 शतकों की मदद से 51.12 की बल्लेबाजी औसत से 10,122 रन बनाए। उनके 34 शतकों का रिकॉर्ड 2005 में सचिन तेंदुलकर ने तोड़ा था। गावस्कर ने 108 वनडे इंटरनेशनल में में 35.13 की औसत से 3092 रन बनाए। वनडे में उनके बल्ले से एकमात्र शतक 107वें मैच में निकला।
सुनील गावस्कर और क्रिकेट इतिहास के लिहाज से 7 मार्च, 1987 का दिन बेहद खास है, क्योंकि इस दिन उनके बल्ले से टेस्ट क्रिकेट का 10,000वां रन निकला था। टेस्ट में 10 हजार रन के आंकड़े को छूने वाले वह पहले क्रिकेटर रहे है, उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ अपने 124वें टेस्ट मैच में यह उपलब्धि हासिल की थी।
सुनील गावस्कर तीन बार किसी टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक जमाने वाले पहले क्रिकेटर रहे। उन्होंने 1971 की अपनी डेब्यू सीरीज के दौरान वेस्टइंडीज के के घातक गेंदबाजों के खिलाफ पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट की पहली पारी में 124 रन बनाए और दूसरी पारी में दोहरा शतक (220) जड़ा था।
एक ‘स्लो’ पारी
साल 1975 में पहला वर्ल्ड कप खेला गया। इसमें गावस्कर ने 7 जून को मैच में इंग्लैंड के खिलाफ 174 गेंदों पर नाबाद 36 रनों की स्लो पारी खेली थी।
कैसे किया सन्यास का फैसला
सन्यांस के फैसले को लेकर भी सनी गावस्कर का एक बेहद ही रोचक किस्सा है। गावस्कर से जब पूछा गया कि उन्होंने सन्यांस का फैसला कैसे लिया तो लिटिल मास्टर ने बताया कि,” हम पाकिस्तान के खिलाफ मार्च 13, 1987 को एम.चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेल रहे थे, भारत बल्लेबाजी कर रहा था तो ड्रेसिंग रुम में लंच से चाय तक का समय गुजारना उनके लिए बेहद मुश्किल हो गया और कई बार घड़ी की तरफ देखा। जिसके बाद उन्हें समझ आ गया कि क्रिकेट में अब उनके दिन पूरे हो चुके हैं।
सन्यांस के बाद भी क्रिकेट
सन्यांस के बाद भी सनी की क्रिकेट के प्रति निष्ठा बरकरार रही, गावस्कर आज भी क्रिकेट के साथ किसी ना किसी रुप में जुड़े हुए है। वह एक लाजावाब कमेंनटेटर है, इसके अलावा वे बीसीसीआई के लिए भी सेवांए दे चुके है। पूर्व में बीसीसीआई के अध्यक्ष पद एवं मुख्य चयनकर्ता का दायित्व सभांल चुके है।
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