Bharat Bandh: भारत बंद को लेकर दिल्ली पुलिस ने गश्त बढ़ायी, ये राजनीतिक दल भी होंगे शामिल, इन्हें मिलेगी छूट

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Bharat Bandh: ‘भारत बंद’ को लेकर दिल्ली पुलिस ने गश्त बढ़ायी, जानिए किन्हें मिलेगी छूट

नयी दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में 27 सितंबर को किसान यूनियन द्वारा आहूत ‘भारत बंद’ से पहले राष्ट्रीय राजधानी के सीमावर्ती इलाकों में गश्त बढ़ा दी है और अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। किसानों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे 40 से अधिक कृषि यूनियन के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा ने इससे पहले लोगों से बंद में शामिल होने की अपील की थी। पुलिस के अनुसार, गश्त बढ़ा दी गई है, चौकियों पर, विशेष रूप से सीमावर्ती इलाकों में अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया गया है और राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने वाले हर वाहन की पूरी जांच की जा रही है। 

आंदोलन छोड़कर वार्ता का रास्ता अपनाएं- नरेंद्र सिंह तोमर

उधर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को कहा कि ‘मैं किसानों से आग्रह करता हूं कि वो आंदोलन छोड़कर वार्ता का रास्ता अपनाएं। सरकार उनके द्वारा बताई गई आपत्ती पर विचार करने के लिए तैयार है और इससे पहले भी कई बार बात हो चुकी है और इसके बाद भी उन्हें लगता है कि कोई बात बची है तो सरकार उस पर जरूर बात करेगी।’ 

शहर की सीमाओं पर खास सुरक्षा व्यवस्था रहेगी

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत बंद के मद्देनजर सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी। अधिकारी ने कहा कि शहर की सीमाओं पर तीन विरोध-प्रदर्शन स्थलों से किसी भी प्रदर्शनकारी को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पुलिस उपायुक्त (नयी दिल्ली) दीपक यादव ने कहा, ‘‘भारत बंद के मद्देनजर एहतियात के तौर पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। सीमावर्ती इलाकों में जांच चौकियों को मजबूत किया गया है और इंडिया गेट एवं विजय चौक सहित सभी महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों में पर्याप्त तैनाती की जाएगी।’’ 

‘सभी वाहनों की पिकेट पर पूरी तरह से जांच की जाएगी’

एक अधिकारी ने कहा कि शहर में कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित किये जाने के बारे में अभी तक कोई सूचना नहीं है, लेकिन किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए सभी एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘सुरक्षा एहतियाती होगी और हम पूरी तरह से सतर्क हैं। दिल्ली में ‘भारत बंद’ का कोई आह्वान नहीं है, लेकिन हम घटनाक्रम पर नजर रख हुए हैं और पर्याप्त संख्या में कर्मी तैनात रहेंगे।’’ बाहरी जिले के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि किसी भी प्रदर्शनकारी को अनुमति नहीं दी जाएगी और दिल्ली के टिकरी बार्डर पर किसानों के धरने के बाद से जिले में पहले से ही अतिरिक्त बलों को तैनात किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि सीमावर्ती इलाकों के गांवों से दिल्ली को जोड़ने वाली सभी सड़कों की कड़ी जांच की जाएगी। सभी वाहनों की पिकेट पर पूरी तरह से जांच की जाएगी।’’ 

एसकेएम ने राजनीतिक दलों से किया ये आग्रह

एसकेएम ने सभी राजनीतिक दलों से “लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांतों की रक्षा के लिए” किसानों के साथ खड़े होने का आग्रह किया था। एसकेएम ने हाल में जारी एक बयान में कहा था, ‘‘इस ऐतिहासिक संघर्ष के दस महीने पूरे होने पर एसकेएम ने केंद्र सरकार के खिलाफ सोमवार (27 सितंबर) को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। बयान में कहा गया था, ‘‘एसकेएम हर भारतीय से इस देशव्यापी आंदोलन में शामिल होने और ‘भारत बंद’ को व्यापक रूप से सफल बनाने की अपील करता है। विशेष रूप से, हम कामगारों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, कारोबारियों, विद्यार्थियों, युवाओं और महिलाओं तथा सभी सामाजिक आंदोलनों के संगठनों से उस दिन किसानों के साथ एकजुटता दिखाने की अपील करते हैं।’’ 

सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक ‘भारत बंद’ का किया गया है ऐलान

एसकेएम ने बयान में कहा था कि भारत बंद सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक होगा, जिस दौरान पूरे देश में सभी सरकारी और निजी कार्यालय, शैक्षणिक और अन्य संस्थान, दुकानें, उद्योग और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान के साथ-साथ सार्वजनिक कार्यक्रम और अन्य कार्यक्रम बंद रहेंगे। इसमें कहा गया था, अस्पताल, मेडिकल स्टोर, राहत और बचाव कार्य सहित सभी आपातकालीन प्रतिष्ठानों और आवश्यक सेवाओं और व्यक्तिगत आपात स्थितियों में भाग लेने वाले लोगों को छूट दी जाएगी। 

दिल्ली सी सीमाओं पर डटे हैं किसान

देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान, पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जिसको लेकर उन्हें डर है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर दिया जाएगा तथा उन्हें बड़े कार्पोरेट की दया पर छोड़ दिया जाएगा। हालांकि, सरकार 3 कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है। दोनों पक्षों के बीच 11 दौर से अधिक की बातचीत गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है। 

किसान यूनियन के ‘भारत बंद’ में शामिल हों पार्टी कार्यकर्ता, प्रदेश इकाई प्रमुख: कांग्रेस 

कांग्रेस ने रविवार को अपने सभी कार्यकर्ताओं, प्रदेश इकाई प्रमुखों और पार्टी से जुड़े संगठनों के प्रमुखों को केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान यूनियन द्वारा 27 सितंबर को आहूत ‘भारत बंद’ में भाग लेने के लिए कहा। किसानों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे 40 से अधिक कृषि यूनियन के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा ने इससे पहले लोगों से बंद में शामिल होने की अपील की थी। 

कांग्रेस महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस और उसके कार्यकर्ता सोमवार को किसान यूनियन द्वारा आहूत किये गए शांतिपूर्ण ‘भारत बंद’ को अपना पूरा समर्थन देंगे। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हम अपने किसानों के अधिकार में विश्वास करते हैं और काले कृषि कानूनों के खिलाफ उनकी लड़ाई में हम उनके साथ खड़े रहेंगे।’’ वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘सभी प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्षों, संगठन प्रमुखों से अनुरोध है कि वे देशभर में शांतिपूर्ण भारत बंद में हमारे अन्नदाता के साथ आएं।’’ 

अबतक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है

बता दें कि, गतिरोध तोड़ने और किसानों के विरोध प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए सरकार और किसान यूनियन ने अब तक 11 दौर की बातचीत की है, आखिरी बातचीत 22 जनवरी को हुई थी। 26 जनवरी को किसान प्रदर्शनकारियों की एक ट्रैक्टर रैली के दौरान व्यापक हिंसा के बाद बातचीत फिर से शुरू नहीं हुई है। किसान समूहों ने आरोप लगाया है कि ये कानून ‘मंडी’ और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खरीद प्रणाली को समाप्त कर देंगे और किसानों को बड़े कॉरपोरेट की दया पर छोड़ देंगे। वहीं सरकार ने इन आशंकाओं को गलत बताते हुए खारिज कर दिया है और कहा है कि इन कदमों से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

आंध्र प्रदेश सरकार ने किया किसानों के ‘भारत बंद’ का समर्थन 

आंध्र प्रदेश सरकार संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में 27 सितंबर को बुलाए गए ‘भारत बंद’ को पूर्ण समर्थन देगी। यह घोषणा राज्य के सूचना एवं परिवहन मंत्री पर्नी वेंकटरमैया (नानी) ने शनिवार को की। इसके अलावा आंध्र सरकार ने विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों का भी समर्थन करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि वाईएसआर कांग्रेस सहित आंध्र प्रदेश सरकार किसानों और इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों की चिंताओं का समर्थन करेगी। वेंकटरमैया ने संवाददाताओं को बताया कि राज्य सरकार ने 26 सितंबर की मध्यरात्रि से 27 सितंबर की दोपहर तक राज्य भर में आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों को रोकने का फैसला किया है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण के पूरी तरह खिलाफ हैं। मंत्री ने बंद के दौरान लोगों से शांतिपूर्ण तरीक से प्रदर्शन करने की अपील की। गौरतलब है कि वाम दलों, कांग्रेस और तेलुगू देशम पार्टी ने पहले ही भारत बंद को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। 

किसानों के ‘भारत बंद’ को बसपा का समर्थन- मायावती 

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के ‘भारत बंद’ का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार से इन कानूनों को वापस लेने की मांग की है। बसपा प्रमुख ने रविवार को ट्वीट किया, ‘‘केन्द्र द्वारा जल्दबाजी में बनाए गए तीन कृषि कानूनों से असहमत और दुखी देश के किसान इनकी वापसी की मांग को लेकर लगभग 10 महीने से पूरे देश व खासकर दिल्ली के आसपास के राज्यों में आन्दोल कर रहे हैं और उन्होंने सोमवार को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है जिसके शांतिपूर्ण आयोजन को बसपा का समर्थन।’’

अपने सिलसिलेवार ट्वीट में मायावती ने कहा, ‘‘साथ ही, केन्द्र सरकार से पुनः अपील है कि वह किसान समाज के प्रति उचित सहानुभूति व संवेदनशीलता दिखाते हुए तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस ले तथा आगे उचित सलाह-मशविरा व इनकी सहमति से नया कानून लाए ताकि इस समस्या का समाधान हो। अगर किसान खुश व खुशहाल होंगे तो देश खुश व खुशहाल होगा।’’

गौरतलब है कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर की किसान महापंचायत में 27 सितंबर को ‘भारत बंद’ का एलान किया था। संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले 25 सितंबर को ‘भारत बंद’ की घोषणा की थी। किसान मोर्चा ने कहा है कि 27 सितंबर को ‘भारत बंद’ के दौरान देश में सब कुछ बंद रहेगा। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि तीन कृषि कानूनों के वापस लिए जाने तक वह अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे। 



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