Ram Navami 2021: चैत्र नवरात्रि की राम नवमी कल यानी 21 अप्रैल को है. कहा जाता है कि रामनवमी के दिन ही भगवान राम ने राजा दशरथ के घर जन्म लिया था. इसी के उपलक्ष्य में राम नवमी का पर्व मनाया जाता है. रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की पूजा करने के साथ –साथ हवन भी किया जाता है. हवन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. परिणाम स्वरूप घर परिवार में माहौल सुखमय बना रहता है. कहा जाता है कि भगवान राम की पूजा करने और हवन करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है.
हवन में जरूरी सामग्री
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक़ ,यज्ञ, होम या हवन अग्नि तत्व है, इसमें कुछ भी जलाये जाने का सीधा असर घर की वाइब्रेशन पर, घर के वास्तु पर होता है. आजकल लोग हवन करने के लिए हवन सामग्री बाजार से लाते हैं. इससे बेहतर होता है कि आप तिल, जौ, गुग्गुल आदि खरीद कर हवन सामग्री बनायें. तत्पश्चात इसी हवन सामग्री से हवन करें. इस बनाने के लिए 250 ग्राम जौ के साथ तिल 500 ग्राम मिलाना चाहिए. इसके अलावा इसमें अन्य चिकनी और सुगंध की सामग्री जौ के बराबर होनी चाहिये.
अलग –अलग चीजों की आहुति का भी अलग-अलग प्रमाण होता है. ऐसा इस लिए होता कि इन चीजों का केमिकल रिएक्शन निश्चित मात्रा में मिलाने से ही होता है. इससे घर का वास्तु भी सकारात्मक तौर पर प्रभावित होता है.
हवन के लिए सामग्री तैयार करने के लिए सामग्री में नीम, पंचमेवा, जटा वाला नारियल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, गोला, आम की लकड़ी, गूलर की छाल, मुलेठी की जड़, कपूर, तिल, चावल, लौंग, गाय की घी, आम के पत्ते, पीपल का तना, छाल, इलायची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, बेल, आदि को भी शामिल करना चाहिए.
चैत्र नवरात्रि 2021 राम नवमी शुभ मुहूर्त
- चैत्र नवरात्रि नवमी तिथि का प्रारम्भ – 21 अप्रैल, 2021 को 00:43 बजे से
- चैत्र नवरात्रि का नवमी तिथि समाप्त – 22 अप्रैल, 2021 को 00:35 बजे पर
- रामनवमी की पूजा और हवन के लिए शुभ मुहूर्त : सुबह 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक
- राम नवमी मध्याह्न समय : दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर
चैत्र नवरात्रि राम नवमी हवन विधि
उपासक को चैत्र नवरात्रि की राम नवमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें. उसके बाद शास्त्रों के अनुसार निर्धारित शुभ मुहूर्त में हवन के समय पति- पत्नी एक साथ बैठे. हवनकुंड में अग्नि स्थापना के पहले सभी देवी देवताओं का आवाहन करें. उसके बाद हवन कुंड में आम की लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें. इसके बाद हवन कुंड में सभी देवी- देवताओं के नाम की आहुति डालें.
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