कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन पहले के मुकाबले ज्यादा ताकतवर है. ये शरीर के कई अंगो को प्रभावित कर रहा है. सबसे पहले इसका असर फेफड़े (Lungs) और श्वसनतंत्र (Respiratory System) पर पड़ रहा है. लेकिन बाद में ये वायरस शरीर के दूसरे अंगों को भी अपना शिकार बना रहा है. कोरोना वायरस से अब न्यूरोलॉजिकल (Neuro) और साइकोलॉजिकल (Psychological) बीमारियां भी हो रही हैं. इसके अलावा लोगों में ठीक होने के बाद एंग्जायटी (Anxiety) और मूड स्विंग (Mood Swings) की समस्या भी देखने को मिल रही है.
कोरोना से सही होने के बाद कई लोगों में न्यूरो संबंधी बीमारियां हो रही हैं. अगर आपकी नसों में सुन्नपन्न और भूलने की बीमारी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं तो आप ये समझ लें कि कोरोना वायरस आपके ब्रेन और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर रहा है. इसके अलावा कई साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे मूड स्विंग और कमजोरी होना भी पोस्ट कोविड समस्याएं हैं. कई रिसर्च में पता चला है कि कुछ मामलों में कोरोना वायरस ने व्यक्ति के दिमाग और नर्वस सिस्टम पर असर डाला है. इससे मरीज को कई गंभीर बीमारियां होनी शुरू हो जाती है. ऑक्सफोर्ड में किए गए एक रिसर्च में पता चला है कि कोरोना वायरस ठीक हुए मरीजों में न्यूरोलॉजिकल और मानसिक समस्याएं भी पैदा कर सकता है.
कोरोना का बाद हो सकती हैं ये बीमारी
1- मस्तिष्क विकृति (Encephalopathy)- कोरोना से ठीक होने के बाद लोगों में मस्तिष्क विकृति (Encephalopathy) की समस्या हो रही है. इसमें मनोविकृति (Psychosis) और याददाश्त (Memory) कमजोर होने की संभावना रहती है.
2- इन्सेफेलाइटिस (Encephalitis)- कोरोना के बाद इन्सेफेलाइटिस की समस्या भी काफी देखी गई है. कोरोना से ठीक हुए मरीजों के दिमाग में सूजन आ जाती है.
3- खून के थक्के (Blood Clots)- पोस्ट कोविड एक गंभीर समस्या ये भी सामने आ रही है कि दिमाग में ब्लड क्लॉटिंग हो जाती है. इससे स्ट्रोक भी हो सकता है. कई कोरोना के मरीजों में ये समस्या देखने को मिल रही है.
4- गुलियन बेरी सिंड्रोम (Guillain Barre Syndrome)- इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune) नसों पर हमला करता है. इससे कमजोरी, सुन्नता, झुनझुनी और पेरालाइसिस का खतरा बढ़ जाता है.
5- एंग्जायटी (Anxiety)- कई लोगों को कोरोना से ठीक होने पर साइकोलॉजिकल समस्याएं हो रही हैं. इसमें मूड स्विंग और एंग्जायटी की समस्या सबसे ज्यादा हो रही है.
रिसर्च क्या कहते हैं?
कोरोना से ठीक होने के 6 महीने बाद तक 33% मरीजों में साइकोलॉजी और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं देखने को मिली है. कोरोना के मरीजों में सांस संबंधी अन्य संक्रमण वाले लोगों की तुलना में मनोवैज्ञानिक या न्यूरोलॉजिकल विकार होने की संभावना 16 प्रतिशत ज्यादा है. कोरोना से ठीक होने के बाद 2% लोग स्ट्रोक, 0.7% लोग डिमेंशिया, 14% मूड डिसऑर्डर, 5% अनिद्रा, 0.6% ब्रेन हैमरेज, 2.1% इस्केमिक स्ट्रोक, 17% एंग्जायटी डिसऑर्डर से पीड़ित हो रहे हैं. इसके साथ ही 24% लोग चिंता और मानसिक बीमारियों से पीड़ित पाए गए हैं.
ये लोग हो रहे हैं प्रभावित
सबसे ज्यादा बुजुर्गों या जो लोग पहले से हार्ट या न्यूरो से संबंधी बीमारियों का इलाज करवा रहे उन्हें ये बीमारियां हो रही हैं. जो लोग एलर्जी, अस्थमा, टीबी या सांस की समस्या से ग्रसित हैं उन पर भी इसका असर है. कोरोना वायरस के दौरान जिन लोगों का इलाज आईसीयू या वेंटिलेटर पर हुआ था, उनमें भी ये समस्याएं देखने को मिली हैं.
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