ब्रेग्जिट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यूरोपियन यूनियन और ब्रिटेन दोनों ने भारत से ट्रेड डील तेज कर दी है. वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को एक वर्चुअल मीटिंग में ईयू के ट्रेड कमिश्नर वेल्डिस डोम्बरोविस्किस ने ट्रेड डील पर बातचीत की. ईयू और भारत के बीच बैलेंस्ड फ्री ट्रेड की बातचीत 2013 से अटकी हुई है. ब्रिटेन समेत ईयू पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट रहा. भारत के कुल निर्यात में इस मार्केट की हिस्सेदारी 17 फीसदी रही.
‘अर्ली हार्वेस्ट’ डील पर जोर
ईयू के ट्रेड कमिश्नर के साथ बातचीत में पीयूष गोयल ने अर्ली हार्वेस्ट डील करने पर जोर दिया. इसके बाद फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत हो सकती है. एफटीए पर ईयू से औपचारिक बातचीत 2013 से बंद थी. पीयूष गोयल ने ब्रिटेन से कारोबार बढ़ाने के लिए उसके इंटरनेशनल ट्रेड सेक्रेट्री से भी बातचीत की. ईयू के उलट ब्रिटेन भारत से अपने कारोबारी सौदे के दौरान ऑटोमोबाइल, वाइन जैसी चीजों पर ड्यूटी खत्म करने की मांग रखने में परहेज कर सकता है. ताकि दोनों के बीच ट्रेड डील को अंतिम रूप दिया जा सके. भारत के साथ ट्रेड डील के दौरान ब्रिटेन कड़ा रुख नहीं अपनाएगा क्योंकि ईयू से बाहर आने की वजह से उसकी कई सहूलियतें खत्म हो गई हैं. इसकी भरपाई के लिए वह भारत के सामने कड़ी शर्तें नहीं रखेगा.
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का रास्ता हो सकता है साफ
ईयू के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के लिए बातचीत अटकी हुई है. दोनों के बीच इस पर 2007 से 2013 तक 16 दौर की बातचीत चली लेकिन समझौते पर मुहर नहीं लगी सकी. ईयू का कहना था कि भारत ऑटोमोबाइल और वाइन पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटा दे. अगर भारत ने यह ड्यूटी घटाई होती तो इसका सबसे ज्यादा फायदा जर्मनी और फ्रांस को मिलता. विश्लेषकों का कहना है ब्रिटेन इन मुद्दों पर नरम रुख अख्तियार कर सकता है. कोरोना संक्रमण की वजह से ब्रिटेन और ईयू की अर्थव्यवस्था को करारा झटका लगा है. खास कर उनके निर्यात सेक्टर को. इस वजह से दोनों ट्रे़ड ब्लॉक भारत से कारोबार बढ़ाने को अहमियत दे रहे हैं.
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