FMCG कंपनियां फिर दाम बढ़ाने की तैयारी में, आपकी जेब पर पड़ेगा सीधा असर
रोजमर्रा के उत्पाद (एफएमसीजी) बनाने वाली कंपनियां महंगाई में तेज उछाल की वजह से लागत में वृद्धि के नाम अगले माह से कीमतें बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं। कंपनियों का कहना है कि पिछले एक साल में खाद्य तेलों के दाम दोगुना से अधिक बढ़ गए हैं। वहीं अन्य कच्चे माल की कीमत बढ़ने से भी उत्पादों के दाम पर असर पड़ा है। एफएमसीजी कंपनियां इस साल पहली छमाही में पहले ही दो बार दाम बढ़ा चुकी हैं।
कंपनियों का कहना है कि दाम बढ़ाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। गोदरेज कंज्यूमर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (भारत एवं सार्क) सुनील कटारिया का कहना है कि तकरीबन सभी तरह की कमोडिटी का दाम एक दशक के ऊंचे स्तर पर चल रहा है। कटारिया का कहना है कि कंपनी ने एक जुलाई को ही दाम बढ़ाया था और पिछले छह माह में दो बार ऐसा कर चुके हैं। जबकि पाम ऑयल की कीमतें अभी भी आसमान छू रही हैं। ऐसे में लागत बढ़ने से दाम में इजाफा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। आरएसएच ग्लोबल के सह संस्थापक और अध्यक्ष सुनील अग्रवाल का कहना है कि कंपनी पर्सनल केयर के उत्पादों को बनाने में लगने वाले कच्चे माल के दाम पिछले छह माह में 25 फीसदी बढ़ चुके हैं। अग्रवाल का कहना है कि लागत में इतना उछाल कंपनियों के लिए वहन करना मुश्किल होता जा रहा है और एफएमसीजी क्षेत्र के लिए एक संकट की तरह बढ़ता जा रहा है। अग्रवाल ने बताया कि लागत बढ़ने की वजह से मई में दाम बढ़ाने को मजबूर होना पड़ा। इसके बाद जुलाई में भी कीमतों में इजाफा करना पड़ा। इस तरह कुल मिलाकर आठ से 10 फीसदी कीमतों में वृद्धि हुई। ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के एमडी वरुण बेरी ने कहा कि पॉम ऑयल की कीमतें वैश्विक स्तर पर ऊंची हैं। लागत बढ़ने से कंपनी पहले भी दाम बढ़ा चुकी है।
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तत्काल दाम बढ़ाने से कंपनियों को डर
आईआईएफएल सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (कमोडिटी एवं करेंसी) अनुज गुप्ता ने हिन्दुस्तान को बताया कि बीते एक साल में अधिकांश कमोडिटी की कीमतों में बड़ा उछाल आया है। इसके चलते एफएमसीजी कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ी है। गुप्ता का कहना है कि इसके बावजूद कंपनियां तुरंत दाम नहीं बढ़ाकर दो-तीन माह इंतजार करती हैं और लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर धीरे-धीरे डालती हैं। गुप्ता का कहना है कि कोरोना के कारण बाजार में सुस्ती है। ऐसे में वह तुंरत कीमत बढ़ाकर जोखिम लेना नहीं चाहती हैं। सितंबर तीसरी तिमाही का अंतिम महीना है जिसमें कंपनियां कीमतें बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं।
पेट्रोल-डीजल भड़का रहे महंगाई की आग
पेट्रोल-डीजल के दाम छह माह में 25 से 40 फीसदी बढ़े हैं। इससे मालभाड़ा 25 फीसदी बढ़ा है। इसका सीधा असर खाने-पीने से लेकर रोजर्मरा के उत्पादों पर हुआ है। इससे पहले कंज्यूमर ड्यूरेबल, ऑटा कंपनियों ने कीमतों में वृद्धि की थी। पिछले छह माह में टीवी-फ्रीज 20 फीसदी तक महंगे हुए। जबकि कार कंपनियां,छह माह में दो बार दाम बढ़ा चुकी हैं। मारुति ने सोमवार को फिर 15 हजार रुपये तक दाम बढ़ाने का किया ऐलान किया। महंगाई की मार से जरूरी सामानों की कीमत में बढ़ोतरी से उत्पादन लागत बढ़ी है।
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