हर साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां गायत्री का जन्म हुआ था। इस दिन विधि- विधान से मां गायत्री की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। यह एकादशी तिथि सभी एकादशियों में सबसे श्रेष्ठ होती है। निर्जला एकादशी का व्रत करने से 24 एकादशियों का व्रत करने के बराबर फल मिलता है। इस साल 21 जून को निर्जला एकादशी है और इसी दिन मां गायत्री का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। आइए जानते हैं गायत्री जयंती पूजा- विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त…
गायत्री जयंती मुहूर्त
- एकादशी तिथि प्रारम्भ – जून 20, 2021 को 04:21 पी एम से
- एकादशी तिथि समाप्त – जून 21, 2021 को 01:31 पी एम तक
इन 5 शुभ मुहूर्तों में करें मां गायत्री की पूजा- अर्चना
- ब्रह्म मुहूर्त- 04:04 ए एम से 04:44 ए एम
- अभिजित मुहूर्त- 11:55 ए एम से 12:51 पी एम
- विजय मुहूर्त- 02:43 पी एम से 03:39 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त- 07:08 पी एम से 07:32 पी एम
- अमृत काल- 08:43 ए एम से 10:11 ए एम
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गायत्री जयंती पूजा- विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
- मां गायत्री का ध्यान करें।
- मां को पुष्प अर्पित करें।
- गायत्री मंत्र का जप करें।
- मां को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
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गायत्री मंत्र
- ‘ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।
गायत्री जयंती का महत्व
- हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत अधिक महत्व होता है।
- मां गायत्री की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
- मां गायत्री वेदों की जननी हैं। गायत्री मां की पूजा करने से वेदों के अध्ययन करने के बराबर फल मिलता है।
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