खाना खाने के बाद मीठा खाना भला किसे पसंद नहीं होता. कई लोग थोड़ा कम मीठा खाते हैं तो वहीं कुछ लोग मीठा खाने के बहुत शौकीन होते है. लेकिन मोटे और डायबिटीज के मरीजों के लिए मीठा बहुत नुकसानदायक होता है. ऐसे लोग चीनी से परहेज करते हैं या कोई ऐसा विकल्प तलाशते हैं जिससे मुंह भी मीठा हो जाए और कोई दिकक्त भी न हो. मार्केट में आजकल ब्राउन शुगर, शहद, गुड़ और उससे बनी चीजें काफी चलन में है. डायबिटीज के मरीज शुगर फ्री का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि कुछ लोगों को चीनी की काफी क्रेविंग होती है. ऐसे में आपके लिए कोकोनट शुगर बेहतर ऑप्शन है. इसे नारियल के पेड़ से बनाया जाता है. जानते हैं इसके फायदे और बनाने का तरीका.
कोकोनट शुगर कैसे बनती है- कोकोनट शुगर नारियल के पेड़ पर आने वाले फूलों के रस से बनती है. पहले इस रस को पेड़ से इकठ्ठा करते हैं फिर उबाल कर सारी नमी खत्म करके उसका सूखा पाउडर बनाया जाता है. अब इसे नैचुरली प्रोसेस करके चीनी के दाने जैसा बनाते हैं. अनप्रोसेस्ड होने की वजह से इसकी न्यूट्रिशियस वैल्यू काफी ज्यादा होती है. ये आपको मार्केट में कोकोनट पाम शुगर के नाम से मिल जाएगी. इसका रंग हल्का ब्राउन होता है जो गुड़ की शक्कर जैसी दिखती है. साउथ इंडिया में नारियल काफी मात्रा में होता है वहां के लोग इसका काफी इस्तेमाल करते हैं. साउथ इंडिया में कई तरह की मिठाइयों में भी कोकोनट शुगर का उपयोग किया जाता है. अब इसे आप कहीं से भी खरीद सकते हैं. शुगर के मरीजों के लिए ये अच्छा ऑप्शन है.
कोकोनट शुगर के फायदे- इस शुगर का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये नेचुरल तरीके से बनी होती है. इसमें प्रिजर्वेटिव की मात्रा काफी कम होती है. सादा चीनी के मुकाबले कोकोनट पाम शुगर में बहुत कम कैलोरी होती हैं इसमें विटामिन्स- मिनरल्स भी होते हैं. पाम शुगर में विटामिन बी-1, बी-12 और फॉलिक एसिड भी पाया जाता है. जिससे शरीर को कई फायदे मिलते हैं. कोकोनट शुगर में ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी सफेद चीनी और शहद से काफी कम पाया जाता है. ये डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी अच्छी रहती है. इसमें ग्लाइसेमिकल इंडेक्स सिर्फ 35 होता है वहीं चीनी में ये 60 से भी ज्यादा होता है. कोकोनट पाम शुगर में प्रोबायोटिक और फाइबर भी होता है जिससे डाइजेशन अच्छा रहता है. आप चाय, दूध और मिठाइयों में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
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