Narak Nivaran Chaturdashi Vrat 2021: हिन्दू धार्मिक मान्यताओं में माघ महीने को दान-पुण्य और स्नान आदि के लिए बहुत ही शुभ महीना माना गया है। माघ महीने की अमावस्या से एक पहले वाली चतुर्दशी को नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से जानते हैं। इस दिन भगवान शिव की अराधना की जाती है। इस बार नरक निवारण चतुर्दशी 10 फरवरी 2021 यानी बुधवार को पड़ रही है।
नरक निवारण चतुर्दशी का महत्व:
नरक निवारण चतुर्दशी के दिन लोग सुबह 4 बजे उठकर स्नान कर शिलिंग पर जल अर्पित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन भगवान शिव का अराधना से सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं और नरक जाने से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह तय हुआ था। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिमालय ने पुत्री पार्वती के विवाह का प्रस्ताव भगवान शिव को भेजा था। इसके बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि महाशिवरात्रि के दिन उनका विवाह हुआ था। चतुर्दशी के अवसर पर विभिन्न मंदिरों में जलाभिषेक और पूजा अर्चना कर लोग उपवास रखते हैं। इस दिन लोग गंगा व अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इस दिन पूरे दिन निराहार रहा जाता है और शाम को व्रत खोला जाता है।
खासकर बिहार में यह व्रत महाशिवरात्रि की तरह मनाया जाता है। कई मंदिरों में रुद्राभिषेक, श्रृंगार और जलाभिषेक किया जाता है। पंडितों के अनुसार नर्क की यातना व गलत कर्मों के प्रभाव से बचने के यह व्रत किया जाता है। श्रद्धालु स्वर्ग में अपने लिए सुख व वैभव की कामना करते हैं।
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