लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी चुनते वक्त बहुत सावधानी बरतनी चाहिए. सबसे पहले यह देखना चाहिए कि बाजार में कितनी तरह की पॉलिसी मौजूद है और आपकी जरूरतों के हिसाब से कौन सी पॉलिसी सबसे अधिक सही है. इसके बाद ही पॉलिसी खरीदने का निर्णय लेना चाहिए.
बीमा दरअसल एक अनुबंध है जो बीमा कंपनी और बीमित व्यक्ति के बीच होता है. इस कॉन्ट्रेक्ट के तहत बीमा कंपनी बीमित व्यक्ति से एक निश्चित रकम (प्रीमियम) लेती है. बीमित व्यक्ति को पॉलिसी की शर्त के हिसाब से किसी नुकसान की स्थिति में हर्जाना देती है.
जीवन बीमा का मतलब यह है कि बीमा पॉलिसी खरीदने वाले व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके आश्रित को बीमा कंपनी की तरफ से मुआवजा मिलता है. यह ध्यान रखें कि जीवन बीमा कई तरह का होता है. अपनी जरूरत को ध्यान में रखते हुए ही जीवन बीमा कराना चाहिए. भारत में 8 तरह की लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी उपलब्ध हैं. हम आपको इन्हीं के बारे में बताएंगे.
आजीवन लाइफ इंश्योरेंस
आजीवन लाइफ इंश्योरेंस में जीवनभर की सुरक्षा मिलती है. पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर, नॉमिनी को बीमा का क्लेम मिलता है. यह दूसरी पॉलिसी से इस मायने में अगल है कि अन्य लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में उम्र की एक अधिकतम सीमा होती है. अगर पॉलिसी धारक की मौत तय आयु सीमा के बाद होती है तो नॉमिनी डेथ क्लेम नहीं ले सकता. आजीवन जीवन बीमा के तहत ऐसी कोई आयु सीमा नहीं होती. इसका प्रीमियम काफी ज्यादा होता है. पॉलिसीधारक के पास इंश्योर्ड सम को आंशिक रूप से विदड्रॉ करने का विकल्प रहता है. इस पॉलिसी के एवज में पैसा लोन पर लिया जा सकता है.
चाइल्ड इंश्योरेंस
बच्चों की शिक्षा के खर्च और अन्य जरूरतों को देखते हुए ये प्लान बनाए गए हैं. चाइल्ड इंश्योरेंस में पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद एकमुश्त रकम दी जाती है लेकिन पॉलिसी खत्म नहीं होती है. भविष्य के सारे प्रीमियम माफ कर दिए जाते हैं और इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसीधारक की ओर से निवेश जारी रखती है. बच्चे को एक निश्चित अवधि तक पैसा मिलता है.
यूलिप
इसमें भी सुरक्षा और निवेश दोनों रहते हैं. यूलिप में रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती है क्योंकि यूलिप में निवेश वाले हिस्से को बॉन्ड और शेयर में लगाया जाता है और म्यूचुअल फंड की तरह आपको यूनिट मिल जाती है. रिटर्न मार्केट के उतार-चढ़ाव पर बेस्ड होता है. हालांकि आप यह तय कर सकते हैं कि आपका कितना पैसा शेयर में लगना है और कितना बॉन्ड में.
टर्म इंश्योरेंस प्लान
एक निश्चित समय के लिए यह प्लान खरीदा जाता है. आप इसे 10, 20 या 30 साल के लिए खरीद सकते हैं. टर्म इंश्योरेंस प्लान में चुनी गई अवधि के लिए कवरेज मिलता है. इसमें मैच्योरिटी बेनिफिट नहीं होता. टर्म इंश्योरेंस प्लान सेविंग्स/प्रॉफिट कंपोनेंट के बिना लाइफ कवर उपलब्ध कराती हैं. पॉलिसी टर्म के दौरान पॉलिसी धारक की मृत्यु होने पर पॉलिसी के तहत एश्योर्ड सम बेनिफिशियरी को दी जाती है.
मनीबैक इंश्योरेंस पॉलिसी
इस पॉलिसी में बोनस के साथ एश्योर्ड सम पॉलिसी टर्म के दौरान ही किस्तों में वापस किया जाता है. पॉलिसी खत्म होने पर आखिरी किस्त मिलती है. पॉलिसी टर्म के दौरान पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है तो पूरा एश्योर्ड सम बेनिफीशियरी को मिलता है.
एंडोमेंट पॉलिसी
इस इंश्योरेंस पॉलिसी में बीमा और निवेश दोनों होते हैं. इसमें एक निश्चित अवधि के लिए रिस्क कवर होता है. तय अवधि खत्म होने पर बोनस के साथ एश्योर्ड सम पॉलिसीधारक को मिल जाता है. पॉलिसीधारक की मौत होने या निर्धारित सालों के बाद एंडोमेंट पॉलिसी के तहत पॉलिसी अमाउंट की फेस वैल्यू का भुगतान किया जाता है. कुछ पॅलिसी गंभीर बीमारी के मामले में भी भुगतान करती हैं.
सेविंग्स एंड इन्वेस्टमेंट प्लान्स
यह प्लान बीमा लेने वाले और उसके परिवार को भविष्य के खर्चों के लिए एकमुश्त फंड का भरोसा दिलाता है. इस प्रकार की लाइफ इंश्योरेंस कैटेगरी में ट्रेडिशनल और यूनिल लिंक्ड दोनों तरह के प्लान्स कवर होते हैं.
रिटायरमेंट प्लान
इस प्लान में लाइफ इंश्योरेंस कवर नहीं मिलता है. इसमें आप अपने रिस्क का आकलन कर एक रिटायरमेंट फंड बना सकते हैं. तय की गई एक अवधि के बाद आपको या आपके बाद बेनिफिशियरी को पेंशन के तौर पर एक निश्चित रकम का भुगतान होता है. यह भुगतान मासिक, छमाही या सालाना आधार पर हो सकता है.
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