Mahabharat : महाभारत युद्ध में महान योद्धा और अर्जुन पुत्र इरावन का भी जिक्र आता है. कहा जाता है कि युद्ध छिड़ने पर वह नृशंसता से कौरवों का नाश करते जा रहे थे, मगर धार्मिक प्रवृति के होने के बावजूद वह अविवाहित नहीं मरना चाहते थे, इस युद्ध के दौरान विवाह की जिद पकड़ ली. ऐसे में खुद कृष्ण ने मोहिनी रूप धरकर इरावन से विवाह किया. युद्ध के आठवें दिन इरावन वीरगति को प्राप्त हुए तो पूरे दिन कृष्ण खुद को विधवा मानकर विलाप करते रहे.
इरावन अर्जुन और नागकन्या उलूपी के बेटे थे. उलूपी का अर्जुन से विवाह वनवास के दौरान हुआ था. इनसे इरावन का जन्म हुआ. महाभारत कथा के अनुसार इरावन पांडवों की तरफ से लड़े और कौरव पक्ष के योद्धाओं अवंती राजकुमार विंद, अनुविंद, शकुनि के भाइयों गज, गवाक्ष, ऋषभ, आर्जव, शुक्र, चर्मवान, दुयोधन के साले सुदक्षिण, भूरिश्रवा के चार पुत्रों को मार डाला. युद्ध के आठवें दिन कौरवों की ओर से लड़ रहे राक्षस अम्बलुष ने इरावन को मार डाला. किवदंतियों में यह भी प्रचलित है कि इरावन पांडवों की विजय के लिए खुद को देवी चामुण्डा को बलि देना चाहता था, लेकिन पांडव तैयार नहीं थे.
श्रीकृष्ण ने समझाया कि इरावन का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा. देवी चामुण्डा का आशीर्वाद मिलने से विजय मिलेगी. पांडव उसकी इच्छा का सम्मान करते हुए इसे नियति मानकर राजी हो गए. मगर उसने यह इच्छा रख दी कि वह अविवाहित नहीं मरना चाहता है, मरने से पहले उसका विवाह कराया जाए. उसे विवाह के बाद उसे मरना ही है, यह जानकर पांडवों के समर्थक कोई राजा उससे अपनी बेटी से विवाह कराने के लिए आगे नहीं आया. इस पर श्रीकृष्ण ने मोहिनी रूप धर उससे विवाह किया और पत्नी की तरह अंतिम विदाई भी दी.
किन्नर इरावन को एक दिन के लिए बनाते हैं पति
कहा जाता है कि भारत में हिन्दू धर्म मानने वाले किन्नर अरावन को पूजते हैं. पौराणिक किवदंतियों के अनुसार एक दिन के लिए उनकी मूर्ति को साक्षात इरावन मानते हुए उससे विवाह करते हैं. एक दिन बाद विधवा की तरह विलाप भी होता है. यह रस्म किन्नरों में बेहद पवित्र मानी जाती हैं.
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