आज मई महीने की मासिक शिवरात्रि है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। यह तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है। इसलिए इस दिन भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की पूजा करने से सभी रुके हुए काम बन जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
हिंदू पंचांग के मुताबिक, आज शाम 07 बजकर 30 मिनट तक त्रयोदशी रहेगी और उसके बाद चतुर्दशी लगेगी। आज मासिक शिवरात्रि के दिन प्रीति और आयुष्मान दो शुभ योग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन प्रीति व आयुष्मान योग में भगवान शिव की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है। कहा जाता है कि इस योग में किये गए कार्यों में सफलता हासिल होती है।
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भगवान शिव की इन मुहूर्त में करें पूजा-
ब्रह्म मुहूर्त- 03:59 ए एम, मई 10 से 04:42 ए एम, मई 10 तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:39 ए एम से 12:32 पी एम तक।
विजय मुहूर्त- 02:19 पी एम से 03:12 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:32 पी एम से 06:56 पी एम तक।
अमृत काल- 02:49 पी एम से 04:36 पी एम तक।
निशिता मुहूर्त- 11:44 पी एम से 12:26 ए एम, मई 10 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग- 05:29 पी एम से 05:25 ए एम, मई 10 तक।
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इन मुहूर्त में ना करें भगवान शंकर की पूजा-
राहुकाल- 05:05 पी एम से 06:45 पी एम तक।
यमगण्ड- 12:05 पी एम से 01:45 पी एम तक।
गुलिक काल- 03:25 पी एम से 05:05 पी एम तक।
दुर्मुहूर्त- 04:58 पी एम से 05:52 पी एम तक।
गण्ड मूल- पूरे दिन।
भद्रा- 07:30 पी एम से 05:25 ए एम, मई 10 तक।
पंचक- 05:25 ए एम से 05:29 पी एम तक।
मासिक शिवरात्रि पूजन विधि-
1. श्रद्धालुओं को शिवरात्रि की रात को जाग कर शिव जी की पूजा करनी चाहिए।
2. मासिक शिवरात्रि वाले दिन आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि के बाद किसी मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें।
3. पूजा के दौरान शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें।
4. शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं। अब आप भगवान शिव की धुप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें।
5. शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें।
6. इसके बाद शाम के समय फल खा सकते हैं लेकिन व्रती को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना व्रत खोलें।
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