नई दिल्ली:
किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को हाईजैक करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश के आरोपों पर सवाल उठाए हैं. टिकैत ने कहा कि सरकार को ये कानून वापस लेने होंगे जो किसी तरह किसानों के हित में नहीं हैं. NDTV को दिए इंटरव्यू में टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेने में समस्या क्या है. जबकि ये किसानों की सहमति के साथ नहीं लाए गए हैं. किसान ये कानून नहीं चाहते हैं. इन्हें वापस लिया जाना चाहिए और इसके बजाय एमएसपी पर कानूनी गारंटी का कानून लेकर सरकार को आना चाहिए.
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राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि असली साजिश है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून न होने से कारपोरेट घरानों को किसानों को लूटने की खुली छूट मिल जाएगी. टिकैत ने कहा, ” हम तो सिर्फ विरोध कर रहे हैं, क्या हम कुछ और कर रहे हैं? हमें राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. हमने कभी किसी से नहीं कहा कि किसे वोट देना चाहिए. किसानों को हर रात 10 हजार रुपये के हिसाब से 350 फीसदी ब्याज का भुगतान एक लाख रुपये के लोन पर चुकाना पड़ता है. हम अपनी इन समस्याओं को लेकर कहां जाएं?”
आंदोलनकारियों को अलगाववादियों, अलग सिख राष्ट्र की मांग करने वाले खालिस्तानियों से जोड़ने की कोशिशों पर टिकैत ने कहा कि यह बिल्कुल बेबुनियाद है कि उनके आंदोलन का मकसद भारत को बदनाम करने का है.
टिकैत ने कहा कि अगर किसान अपनी फसल का उचित दाम मांग रहे हैं तो क्या यह भारत को बदनाम करने का प्रयास है. असली साजिश तो यह है कि अगर एमएसपी पर कानून नहीं होगा तो कॉरपोरेट घरानों को किसानों को लूटने की पूरी आजादी मिल जाएगी. सड़कों पर पुलिस प्रशासन द्वारा किसानों को रोकने के लिए कीलें लगाए जाने के जवाब में फूल वाले पेड़ लगाने के उनके कदम पर टिकैत ने कहा, ” वे कीलें ठोकेंगे और हम फूल उगाएंगे. यही शांति का प्रतीक है.”
खबरों की खबर: किसान आंदोलन और टिकैत होने के मायने
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