डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि पिछले तीन वर्षों में कश्मीर के लगभग 100 युवा, जो वीजा पर पाकिस्तान गए थे, लापता हैं। एक आईपीएस अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि वे या तो कभी वापस ही नहीं लौटे हैं और अगर वापस लौटे भी हैं, तो लापता हैं। वे आतंकवादी संगठनों के स्लीपर सेल का हिस्सा हो सकते हैं।
अधिकारी ने आगे कहा कि अधिक सक्रिय आउटरीच कार्यक्रमों और अधिक निगरानी तंत्र स्थापित होने के बाद अब युवाओं के लापता होने की घटनाएं आनुपातिक रूप से हो रही हैं। घाटी में आतंकवाद-रोधी टीम के सदस्य आईपीएस अधिकारी ने कहा कि यह एक सर्वविदित तथ्य है कि पाकिस्तान जाने वाले किसी भी युवा से इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) सदस्यों द्वारा संपर्क किया जाता है।
अधिकारी ने कहा कि या तो इन युवाओं का ब्रेनवॉश किया जा रहा है और उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है या भारत विरोधी प्रचार करने के लिए तैयार किया गया है। ऐसे युवाओं को वापस लाना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। अधिकारी आगे बताते हैं कि जिन युवाओं को प्रशिक्षित किया जाता है, वे नियंत्रण रेखा (LOC) के माध्यम से भारत में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं और जो युवा थोड़ा अनिच्छुक होते हैं और कुछ समय के लिए गए होते हैं, उन्हें स्लीपर सेल का सदस्य बना दिया जाता है।
अधिकारी ने कहा कि वैध वीजा पर पाकिस्तान से लौटे कई युवाओं ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनसे आईएसआई के लोगों ने संपर्क किया था और उन्हें आतंकी संगठनों में शामिल होने के लिए कहा गया था। इसके साथ ही वे ऐसे युवाओं को निगरानी में भी रखते हैं और अगर लंबे समय तक वे किसी भी संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त नहीं होते हैं, तो प्रतिष्ठान उन्हें रोक देता है।
अधिकारी ने समझाया कि हम कश्मीर के युवाओं को पाकिस्तान जाने से नहीं रोक सकते। हम केवल सर्विलांस टीम के जरिए और अधिक निगरानी रख सकते हैं। यह एक वास्तविकता है। आव्रजन अधिकारियों के साथ खुफिया खोजी दल अटारी-वाघा सीमा और साथ ही नई दिल्ली हवाईअड्डे पर युवाओं की आवाजाही पर नजर रख रहे हैं।
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