नई दिल्ली:
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा है कि विविधिता के बावजूद हम एक राष्ट्र हैं. विकट और विपरीत काल में भी ये देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और रास्ते पर चलते हुए सफलता प्राप्त करता है, ये सब बातें राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में कहा है. किसानों के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आंदोलन कर रहे सभी किसान की भावनाओं का सदन आदर करता है. इसीलिए सरकार लगातार आदर भाव के साथ बात कर रही है.लगातार बातचीत होती रही है. किसानो की शंकाएं पर चर्चा कर रहे है. कुछ कमी है तो बदलने को तैयार हैं.
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प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून लागू होने के बाद ना कही मंडी बंद हुई है और ना कही एमएसपी बंद हुई है.उन्होंने कहा कि ‘कांग्रेस के साथी कृषि कानूनों के कंटेट और इंटेट पर चर्चा करते तो किसानों तक सही चीजें पहुंचतीं’ लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में इसका लाभ होगा तो हो सकता है कुछ इलाकों में नुकसान.हमने समाज के प्रगति के लिये कानून बनाया है. बेटियों को संपति देने का अधिकार देने की मांग किसी ने नही की थी लेकिन हमने बनाई है.
जहां तक आंदोलन का सवाल है, दिल्ली के बाहर हमारे किसान भाई बहन बैठे हुए हैं. वो जो भी गलत धारणाएं बनाई गई, अफवाहें फैलाई गई उसके शिकार हुए हैं.लगातार बातचीत होती रही है, जब पंजाब में आंदोलन चल रहा था तब भी हुई है. बातचीत में किसानों की शंकाएं क्या हैं वो ढूंढने के भी लगातार प्रयास किया गया है. विपक्षी सदस्यों की तरफ से हुए हंगामे पर उन्होंने कहा कि संसद में ये हो-हल्ला, ये आवाज, ये रुकावटें डालने का प्रयास, एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है. रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा. इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है.ये नया कानून किसी के लिए बंधन नहीं हैं, सभी के लिए विकल्प हैं, अगर विकल्प हैं तो विरोध का कारण ही नहीं होता.
नरेंद्र मोदी ने सदन में कहा कि कानून बनने के बाद किसी भी किसान से मैं पूछना चाहता हूं कि पहले जो हक और व्यवस्थाएं उनके पास थी, उनमें से कुछ भी इस नए कानून ने छीन लिया है क्या? इसका जवाब कोई देता नहीं है, क्योंकि सबकुछ वैसा का वैसा ही है. साथ ही उन्होंने कहा कि पुरानी मंडियो पर भी कोई पाबंदी नहीं है. इतना ही नहीं इस बजट में इन मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए और बजट की व्यवस्था की गई है. हमारे ये निर्णय सर्वजन हिताय- सर्वजन सुखाय की भावना से लिए गए हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहली बार इस सदन में ये नया तर्क आया कि ये हमने मांगा तो दिया क्यों? आपने लेना नहीं हो तो किसी पर कोई दबाव नहीं है. इस देश में दहेज के खिलाफ कानून बने, इसकी किसी ने मांग नहीं की, लेकिन प्रगतिशील देश के लिए जरूरी था, इसलिए कानून बना.
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