नई दिल्ली:
कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम की बढ़ती अहमियत और आत्मनिर्भरता के लिए वोकल फॉर लोकल अभियान में स्टार्टअप बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. आर्थिक सर्वेक्षण में भी कहा गया है कि स्टार्टअप की कामयाबी के लिए जरूरी है कि शोध एवं विकास (आरएंडडी) पर सरकार के साथ निजी निवेश बढ़े. जैसा कि अमेरिका, चीन के अलावा यूरोपीय देश कर रहे हैं.आपदा के समय में भी भारत में 12 स्टार्टअप यूनीकार्न (एक अरब डॉलर की कंपनी) का तमगा हासिल कर चुके हैं.
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स्टार्टअप कंपनियों ने कंपनियों के शेयर हिस्सेदारी को लेकर पूरी तरह टैक्स छूट बजट (Union Budget 2021-22) में मांगी है. स्टार्टअप वीडियोमीट के सीईओ डॉ. अजय दत्ता का कहना है कि भारत स्टार्टअप का तीसरा सबसे बड़ा देश है और इस साल का बजट बेहद निर्णायक हो सकता है. स्टार्टअप के लिए आरएंडी और निवेश सबसे अहम है. ऐसे में सरकार को पूंजी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ इनक्यूबेशन सेंटर पर और ध्यान देना होगा.
वर्क फ्रॉम होम के कल्चर से लाइफस्टाइल के नए क्षेत्रों में स्टार्टअप के लिए संभावनाएं बढ़ी हैं. दत्ता ने स्टार्टअप शुरू करने के लिए डॉक्यूमेंटेशन, नियम-शर्तों को भी आसान बनाने की वकालत की है, ताकि इससे जटिलता पैदा न हो. नए युग के कारोबार में स्टार्टअप के लिए इनोवेशन और टेक्नोलॉजी के लिए बजट बढ़ाने की मांग भी स्टार्टअप संगठनों की ओर से की गई है.
पूरी तरह ऑनलाइन कामकाज करने वाले संस्थाओं, संगठनों के लिए विशेष टैक्स छूट, रियायती दरों पर कर्ज, पूंजी मुहैया कराने की मांग भी रखी गई है. कुछ संगठनों ने कहा है कि ‘Vocal for Local’ के लिए बड़ी कंपनियों के सीएसआर में से भी कुछ योगदान स्टार्टअप के लिए मिलना चाहिए. दत्ता ने सरकारी खरीद में भी स्टार्टअप की पहुंच बढ़ाने की सिफारिश की है. भारतीय स्टार्टअप कंपनियों के लिए एक स्वतंत्र संगठन बनाने का कदम भी अच्छा हो सकता है, ताकि सरकार के समक्ष समुदाय की मांगों को प्रभावी ढंग से पहुंचाया जा सके और संवाद बेहतर बनाया जा सके.
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