डिजिटल डेस्क, काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पिछले महीने प्रतिनिधि सभा को भंग करने के बाद से दूसरी बार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया है। ओली ने सात कैबिनेट मंत्रियों और एक राज्य मंत्री को नियुक्त किया है। राष्ट्रपति के कार्यालय की ओर से प्रकाशित एक नोटिस के अनुसार, वर्तमान परिषद मंत्रियों में अब 22 कैबिनेट मंत्री और तीन राज्य मंत्री हैं।
ओली ने खगराज अधिकारी को गृह मंत्री नियुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 20 मई को गृह मंत्रालय का नेतृत्व कर रहे राम बहादुर थापा सहित सात मंत्रियों की नियुक्ति को रद्द करने के बाद गृह मंत्री का पद खाली था। ओली ने इसके एक दिन बाद सदन को भंग कर दिया। अन्य नियुक्तियों में नयनकला थापा, ज्वाला कुमारी साह, नारद मुनि राणा, राज किशोर यादव, गणेश कुमार पहाड़ी और मोहन बनिया हैं। राम बहादुर थापा की पत्नी नयनकला थापा को मिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिकेशन एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी दिया गया है। साह को कृषि, राणा को फॉरेस्ट, यादव को वाणिज्य एवं आपूर्ति तथा पहाड़ी सामान्य प्रशासन दिया गया है। बनिया को बिना विभाग का मंत्री और आशा विश्वकर्मा को वन राज्य मंत्री बनाया गया है।
इससे पहले बीते शुक्रवार को ओली ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए आठ काबीन मंत्रियों और दो नए राज्य मंत्रियों को शामिल किया था। ओली ने तीन उप-प्रधानमंत्री नियुक्त किए थे जिनमें से दो मधेसी समुदाय से हैं।उन्होंने उप-प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त जनता समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र महतो को नगर विकास मंत्रालय दिया है, जबकि उप-प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त सीपीएन-यूएमएल के रघुवीर महासेठ को विदेश मंत्रालय दिया गया है। तीसरे उप-प्रधानमंत्री विष्णु पौडयाल को वित्त मंत्रालय का प्रभार मिला है। वह यूएमएल पार्टी से हैं।
बता दें कि नेपाल इस वक्त राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। पिछले साल 20 दिसंबर को नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग कर 30 अप्रैल और 10 मई को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी। लेकिन देश के उच्चतम न्यायालय ने बीते फरवरी में भंग प्रतिनिधि सभा को बहाल कर दिया था जो ओली के लिए एक झटका था। राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री की सिफारिश पर दूसरी बार 22 मई को प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया और 12 तथा 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराए जाने की घोषणा की। ये मामला फिर से उच्चतम न्यायालय में है।
Source link