पेरिस ओलंपिक 1924
एथलेटिक्स त्यौहार का 7वां आयोजन फ्रांस की राजधानी पेरिस में 1924 में 4 मई से 27 जुलाई के बीच आयोजित हुआ, जहां 45 देशों के 3,256 खिलाड़ियों ने 20 खेलों के 131 इवेंट्स में शिरकत की। इन खेलों में समापन समारोह की रस्म शुरू की गई थी। इसमें तीन झंडे उठाना शामिल हैं: अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति का ध्वज, मेजबान राष्ट्र का ध्वज और अगले मेजबान राष्ट्र का ध्वज। पेरिस ओलंपिक में भाग लेने वाली राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों की संख्या 29 से बढ़कर 44 हो गई। इस लोकप्रियता की पुष्टि 1,000 से अधिक पत्रकारों की उपस्थिति से हुई। 1924 ओलंपिक मेजबानी पेरिस को इसलिए दी गई ताकि अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के और ओलंपिक आंदोलन के संस्थापक बैरन डी कौबर्टिन को अच्छे से विदाई दी जे सके क्योंकि कौबर्टिन पेरिस से ही थे। अंतर्राष्ट्रीय संघों ने अपने संबंधित खेलों पर अधिक प्रभाव प्राप्त किया, इवेंट्स के नियमों का पैमाना तय किया गया, और ज्यादातर देशों में राष्ट्रीय ओलंपिक संस्थाओं ने अलग-अलग देशों में ट्रायल्स कराए जिससे सर्वश्रेष्ठ एथलीट ही खेलों का हिस्सा बने। 100 से अधिक महिलाओं सहित 3,000 से अधिक एथलीटों ने रिकॉर्ड 44 देशों का प्रतिनिधित्व किया। महिलाओं के इवेंट्स में फेनसिंग जोड़ा गया था, हालांकि शूटिंग और स्वीमिंग इवेंट्स की संख्या में कमी के कारण इवेंट्स की कुल संख्या में कमी आई थी। पहली बार स्वीमिंग इवेंट्स ने ट्रैक और फील्ड जितना ध्यान आकर्षित किया।
यादगार चैपिंयन
पावो नूरमी और विले रिटोला के नेतृत्व में फिनलैंड की टीम ने लंबी रेस इवेंट्स में कमाल का प्रदर्शन किया। फिनलैंड के धावक पावो नूरमी ने 1920 ने पांच स्वर्ण पदक जीते, इससे पहले 1920 ओलंपिक में उन्होंने तीन स्वर्ण पदक जीते थे। उनका सबसे शानदार प्रदर्शन 10 जुलाई को हुआ। उन्होंने पहले आसानी से 1500 मीटर रेस जीती और फिर मात्र 55 मिनट बाद ही वह 5,000 मीटर रेस के लिए ट्रैक पर लौट आए और जीत भी गए। इस आयोजन में कई खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए पूरे विश्व को चौकाया जिसमे अमेरिका के ड्यूक काहनमोकू और क्लेरेंस (“बस्टर”) क्रैबे, ऑस्ट्रेलिया के एंड्रयू (“बॉय”) चार्लटन, जापान के योशीयुकी त्सुरुता और स्वीडन के अर्ने बोर्ग शामिल थे। हालांकि, पेरिस ओलंपिक के स्टार अमेरिका के जॉनी वीस्मुल्लर रहे, जिन्होंने वाटर पोलो टीम इवेंट में तीन स्वर्ण पदक के साथ एक कांस्य पदक भी जीता था।
अमेरिका की हेलेन विल्स ने एकल और युगल टेनिस स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीते। 1924 के खेलों के बाद, कई खिलाड़ियों के शौकिया तौर पर खड़े(Amature Standing) होने पर सवालों के कारण टेनिस को ओलंपिक खेलों से हटा दिया गया था। टेनिस 1988 तक ओलंपिक में वापस नहीं आया था।
हॉलीवुड कनेक्शन
अमेरिकी स्विमर जॉनी वीसमुल्लर ने तीन स्वर्ण जीते। उन्होंने 1928 के ओलंपिक में दो और स्वर्ण पदक जीते। इसके अलावा उन्होंने ‘टार्जन ऑफ दी ऐप्स’ में भी अभिनय किया। फिल्ममेकर ह्यूग हडसन ने ब्रिटिश धावक एरिक लिडेल के जीवन पर “कैरियट्स ऑफ फायर” नाम से फिल्म बनाई थी जिसे बाद में ऑस्कर से नवाजा गया था।
एम्स्टर्डम ओलंपिक 1928
ओलंपिक का ऐतिहासिक 8वां आयोजन नीदरलैंड की खूबसूरत राजधानी एम्स्टर्डम में हुआ, जिसमें मशहूर ओलंपिक फ्लेम की शुरुआत हुई।ओलंपिक में 46 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 300 महिलाओं सहित 3,000 एथलीटों ने 17 खेलों के 122 इवेंट्स में भाग लिया।1928 के ओलंपिक में ट्रैक-एंड-फील्ड और जिम्नास्टिक इवेंट्स को महिला स्लेट में जोड़ा गया। ओलंपिक संस्थापक बैरन डी कौबर्टिन और वेटिकन सिटी ने इस निर्णय की बहुत आलोचना की थी। 1928 के खेलों में जर्मनी ने ओलंपिक में वापसी की। पुरुषों की एथलेटिक्स इवेंट्स दो कारणों से याद रखे जाएंगे। फिनलैंड के महान एथलीट पावो नूरमी और विले रिटोला के लिए यह आखिरी ओलंपिक था। यह अमेरिका की टीम के लिए अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन था, जिसने चल रहे आयोजनों में संभावित 12 स्वर्ण पदकों में से केवल तीन जीते। कनाडा के पर्सी विलियम्स ने 100 और 200 मीटर दोनों रेस जीती।
महिलाओं की 800 मीटर दौड़ में विवाद तब पैदा हुआ जब दौड़ के अंत में कई महिलाएं थकावट से गिर गईं, ओलंपिक अधिकारियों ने निष्कर्ष निकाला कि महिलाओं के लिए दूरी बहुत लंबी थी, और रोम में 1960 के खेलों तक महिलाओं को 200 मीटर से अधिक की रेस करने की अनुमति नहीं थी। स्वीमिंग इवेंट्स में जापानी टीम ने सर्वाधिक पदक जीते। अमेरिका के जॉनी वीस्मुल्लर ने 100 मीटर फ़्रीस्टाइल तैराकी और 800 मीटर फ़्रीस्टाइल रिले में स्वर्ण पदक के साथ अपने ओलंपिक करियर का समापन किया। हंगेरियन सेबर टीम ने लगातार सात स्वर्ण पदक जीते थे।
भारत की शुरूआत
भारत की टीम ने फील्ड हॉकी में जीत हासिल की। 1928 और 1956 के बीच, भारत के पुरुष इस आयोजन में लगातार छह स्वर्ण पदक जीते।
भारत ने अपने हॉकी डेब्यू में एम्स्टर्डम में हॉकी का अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता।
लॉस एंजिल्स ओलंपिक 1932
लॉस एंजिल्स ओलंपिक इतिहास का 9वां आयोजन था जो 30 जुलाई से 14 अगस्त के बीच आयोजित हुआ। 1932 के खेलों में मात्र 37 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले केवल लगभग 1,300 एथलीटों ने भाग लिया। इन खेलों में बहुत ही कम खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया जिसका कारण था वैश्विक आर्थिक मंदी और कैलिफोर्निया की यात्रा का खर्च। लॉस एंजिल्स खेलों में पहले ओलंपिक खेलगांव का निर्माण किया गया था, जो लॉस एंजिल्स के करीब एक छोटे कस्बे बाल्डविन हिल्स में स्थित था। पुरुष एथलीटों को 500 से अधिक बंगलों में रखा गया था और उनके पास एक अस्पताल, एक पुस्तकालय, एक डाकघर और विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने के लिए 40 रसोईघर थे। महिला एथलीट शहर के एक होटल में रुकी थीं। लॉस एंजिल्स में कोलिज़ीयम स्टेडियम का निर्माण खास ओलंपिक इवेंट्स के लिए किया गया था जिसमें 100,000 से अधिक दर्शकों के बैठने के लिए उत्तम व्यवस्था थी। एक नया ट्रैक क्रशड पीट(निर्माण सामग्री) से बनाया गया था, जिसकी नई सतह असाधारण रूप से तेज थी, जिसके परिणामस्वरूप रेस के इवेंट्स में 10 विश्व रिकॉर्ड बने। 1932 के खेलों में पहली बार यूनिफॉर्म ऑटोमैटिक टाइमिंग और फोटो-फिनिश कैमरा का इस्तेमाल किया गया था।
खेलों की स्टार रही अमेरिका की बेबे डिड्रिक्सन (बाद में ज़हरियास) था। उन्होंने अमेरिकी ओलंपिक ट्रायल में पांच इवेंट जीते थे, लेकिन ओलंपिक नियमों ने महिलाओं को तीन से अधिक में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति नहीं दी थी। डिड्रिक्सन ने 80 मीटर हर्डल, भाला फेंक और ऊंची कूद में भाग लिया जिममें उन्होंने दो स्वर्ण पदक और एक रजत जीता। अमेरिका की टीम ने 11 स्वर्ण पदक जीतकर ट्रैक-एंड-फील्ड इवेंटस में फिर से अपना परचम लहराया। अमेरिकी एडी टोलन ने 100- और 200 मीटर रेस जीती। पहला रेस-वॉकिंग इवेंट लॉस एंजिल्स खेलों में आयोजित किया गया था।
भारत ने हॉकी में अपना वर्चस्व कायम रखते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
बर्लिन ओलंपिक 1936
ओलंपिक के 10वें आयोजन का गवाह जर्मनी का शहर बर्लिन बना। बर्लिन ओलंपिक खेलों का आयोजन 1-16 अगस्त के बीच एक तनावपूर्ण, राजनीतिक रूप से आवेशित माहौल में हुआ।
बर्लिन को खेलों का आयोजन सौंपे जाने के दो साल बाद, 1933 में नाजी पार्टी सत्ता में आई थी, और इसकी नस्लवादी नीतियों ने खेलों के बहिष्कार के लिए अंतर्राष्ट्रीय बहस को जन्म दिया। बड़े पैमाने पर बहिष्कार के डर से, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने जर्मन सरकार पर दबाव डाला और आश्वासन प्राप्त किया कि योग्य यहूदी एथलीट जर्मन टीम का हिस्सा होंगे और खेलों का इस्तेमाल नाजी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जाएगा। हालांकि, एडॉल्फ हिटलर की सरकार ऐसे वादों को पूरा करने में विफल रही। यहूदी मूल का केवल एक एथलीट जर्मन टीम का सदस्य था। रीच स्पोर्ट्स फील्ड, एक नवनिर्मित खेल परिसर जो 325 एकड़ (131.5 हेक्टेयर) में फैला हुआ था और जिसमें चार स्टेडियम शामिल थे, नाजी बैनर और प्रतीकों में लिपटा हुआ था। इसके बावजूद खेलों के प्रति लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ और अंत में 49 देशों ने बर्लिन ओलंपिक खेलों में भाग लेने के लिए चुना।
बर्लिन ओलंपिक में मीडिया कवरेज में भी प्रगति हुई। यह परिणामों का प्रसारण करने वाला पहला ओलंपिक इवेंट था। यूरोपीय देशों को ओलंपिक का जलवा दिखाने के लिए उस वक्त की आधुनिक तकनीक जेपेलिन्स का उपयोग किया गया। ताकि वो भी खेलों का प्रसारण देख सकें। खेलों का पहली बार टेलीविजन पर प्रसारण किया गया, जो क्लोज सर्किट द्वारा बर्लिन में विशेष रूप से सुसज्जित थिएटरों में प्रसारित किया गया। 1936 के खेलों ने मशाल रिले की भी शुरुआत की जिसके द्वारा ओलंपिक फ्लेम को ग्रीस से ले जाया जाता है।
129 इवेंट्स में लगभग 4,000 एथलीटों ने भाग लिया। ट्रैक-एंड-फील्ड इवेंट्स में अमेरिक के जेसी ओवेन्स ने 100m,200m और 400m में तीन व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीते और एक टीम इवेंट 4 × 100 मीटर रिले में स्वर्ण अपने नाम किया । कुल मिलाकर ओवेन्स और उनके साथियों ने पुरुषों के ट्रैक-एंड-फील्ड इवेंट्स में 12 स्वर्ण पदक जीते। ओवेन्स और अन्य अफ्रीकी अमेरिकी एथलीटों की सफलता को, जिन्हें नाजी प्रेस द्वारा “ब्लैक ऑक्जिलरीज” कहा जाता था, हिटलर के आर्य आदर्शों के लिए एक बड़ा झटका माना जाता हैं।
जिमनास्टिक, रोइंग और घुड़सवारी के इवेंट्स पर जर्मनी भारी रहा। नीदरलैंड के हेन्ड्रिका (“री”) ने स्वीमिंग प्रतियोगिता में तीन स्वर्ण पदक और एक रजत पदक जीता। पहली बार बास्केटबॉल और कैनोइंग को शामिल किया गया।
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की अगुवाई में भारत ने लगातार तीसरा स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
1940 और 1944 के खेल, क्रमशः हेलसिंकी (मूल रूप से टोक्यो के लिए निर्धारित) और लंदन के लिए निर्धारित थे, जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के कारण रद्द कर दिए गए थे।
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