Safalta ki kunji: दुनिया में लोगों को परिश्रम के बूते ही सफलता मिल सकती है, लेकिन इसकी पूर्णता या प्रगति कभी आलस्य, प्रमाद, भोग, दुर्व्यसन, दुर्गुण को साथ जोड़े रहकर नहीं हो सकती है. सिर्फ सदगुण-सदाचार, विद्या अभ्यास, माता-पिता, गुरुजनों और दुःखी-अनाथ प्राणियों की निःस्वार्थ भाव सेवा और ईश्वर भक्ति से ही इस प्रक्रिया का हिस्सा बना जा सकता है. विद्वानों का मत है कि इनमें से एक का भी निस्वार्थ मन से किया जाए, तब ही कल्याण संभव है. ऐेसे में अगर सभी नियमों का पालन करते रहें, तो सफलता में लेशमात्र का संदेह नहीं हो सकता है.
सफलता के लिए ये जरूरी
सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान, स्वच्छ वातावरण में प्राणायाम.
बुद्धि मजबूत करने को 5-7 तुलसी पत्ते चबाकर पानी संग निगलना.
ध्यान रहे कि तुलसी और दूध सेवन के बीच दो घंटे अंतर बनाएं.
सफलता के लिए इनसे दूरी
रोजाना छह घंटे से अधिक और दोपहर के वक्त सोना.
काम में सावधानी न रखना, बेवजह का विलम्ब करना.
मन, वाणी और शरीर द्वारा न करने योग्य व्यर्थ चेष्टा.
योग्य कार्य की अवहेलना करना ही ʹप्रमादʹ है.
सदगुण और दुर्गुण की पहचान
ऐश, आराम, स्वाद-लोलुपता, फैशन, फिल्में, अधर्म को बढ़ावा देने वाले टीवी चैनल, अश्लील वेबसाइटें देखना, क्लबों में जाना आदि भोगʹ हैं। काम, क्रोध, लोभ, मोह, दम्भ, अहंकार, ईर्ष्या आदि ʹदुर्गुणʹ हैं तो संयम, क्षमा, दया, शांति, समता, सरलता, संतोष, ज्ञान, वैराग्य, निष्कामता आदि ʹसदगुणʹ हैं. इसी तरह यज्ञ, दान, तपस्या, तीर्थ, व्रत और सेवा-पूजा, अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य पालन सदाचार माने गए हैं.
ये भी पढ़ें :
Krishna Leela : द्वारिका में मूसल बना यदुवंशियों के नाश का हथियार, जानिए किस्सा
Shani Katha: गणेश जी का मस्तक काटने पर शनिदेव को मिला था ये श्राप
Source link