कल शनि जयंती का पावन दिन है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान शनि का जन्म हुआ था। शनि को ज्योतिष में पापी और क्रूर ग्रह कहा जाता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या की वजह से व्यक्ति का जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है। व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनि जयंती के पावन दिन विधि- विधान से शनि महाराज की पूजा- अर्चना की जाती है। इस दिन ये छोटा सा उपाय करने से भगवान शनि प्रसन्न हो जाते हैं। धार्मिक कथाओं के अनुसार राजा दशरथ ने भी इसी उपाय से भगवान शनि को प्रसन्न किया था। शनि जयंती के पावन दिन शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ जरूर करें। दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि देव का आर्शाीवाद मिलता है।
Surya Grahan 2021: 26 मई 1873 को शनि जयंती के दिन पड़ा था सूर्य ग्रहण, 148 वर्ष बाद पड़ रहा है सूर्य और शनि का यह संयोग
- दशरथ कृत शनि स्त्रोत
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।
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