Shri Balaji Dham Mehandipur : हनुमान जी भगवान श्री राम के सबसे बड़े भक्त हैं और इस कलयुग में जागृत देव हैं। वैसे तो हनुमान जी के कई मंदिर है, लेकिन हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर भी है, जहां दर्शन मात्र से सभी संकट दूर हो जाते हैं। हनुमान जी का यह मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में मेहंदीपुर में स्थित है। हनुमान जी यहां बाल रूप में विराजमान हैं। यहां पर हर समय हनुमान जी के भक्तों का तांता लगा रहता है। आइए जानते हैं हनुमान जी के इस मंदिर के बारे में सबकुछ…
हनुमान जी को श्री बालाजी महाराज के नाम से जाना जाता है
- हनुमान जी का एक नाम बालाजी भी है। मेहंदीपुर में हनुमान जी को श्री बालाजी महाराज के नाम से जाना जाता है।
श्री बालाजी महाराज हमेशा करते रहते हैं भगवान राम और माता सीता के दर्शन
- श्री बालाजी महाराज के ठीक सामने ही भगवान राम और माता सीता का मंदिर है। ऐसा माना जाता है श्री बालाजी महाराज हमेशा भगवान राम और माता सीता के दर्शन करते रहते हैं।
श्री भैरव बाबा भी हैं विराजमान
- हनुमान जी के इस पावन धाम में भैरव बाबा भी विराजमान हैं। भैरव बाबा को यहां कोतवाल कप्तान भी कहा जाता है।
श्री प्रेतराज सरकार भी हैं विराजमान
- हनुमान जी के इस पावन धाम में श्री प्रेतराज सरकार भी विराजमान हैं। दुनिया में सिर्फ मेहंदीपुर बालाजी में प्रेतराज सरकार विराजमान हैं।
दिवान सरकार और समाधी वाले बाबा
- हनुमान जी के इस पावन धाम में दिवान सरकार भी विराजमान हैं। श्री बालाजी धाम से कुछ ही दूरी पर समाधी वाले बाबा का मंदिर भी है।
जल के छींटे दिए जाते हैं
- मेहंदीपुर धाम में सुबह और शाम की आरती के बाद जल के छींटे दिए जाते हैं। इस समय कोरोना वायरस की वजह से जल के छींटे नहीं दिए जा रहे हैं। श्री बालाजी की प्रतिमा में से जल की एक धार बहते रहती है। उसी जल के छींटे दिए जाते हैं।
स्वयंभू है प्रतिमा
- श्री बालाजी महाराज की प्रतिमा स्वंयभू है। ऐसा कहा जाता है जो भी व्यक्ति श्री बालाजी महाराज पर विश्वास रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
अर्जी- दरखास्त लगाई जाती है
- श्री बालाजी महाराज के मंदिर में मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अर्जी- दरखास्त लगाई जाती है। इस समय कोरोना महामारी की वजह से सिर्फ पैसों से अर्जी- दरखास्त लगाई जा रही है। पहले से श्री बालाजी महाराज को लड्डूओं का भोग लगाया जाता था।
मनोकामनाएं पूरी हो जाने के बाद सवामणी का भोग लगाया जाता है
- श्री बालाजी महाराज को मनोकामनाएं पूरी हो जाने के बाद सवामणी का भोग लगाया जाता है।
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