सोम प्रदोष व्रत कल यानी 24 मई 2021, दिन सोमवार को है। सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 24 मई को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी है। त्रयोदशी तिथि भगवान शंकर को समर्पित होती है। ऐसे में प्रदोष व्रत के दिन शिव परिवार की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सोम प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय सुबह 05 बजे और सूर्यास्त शाम 06 बजकर 30 मिनट पर होगा। त्रयोदशी तिथि 25 मई की सुबह 12 बजकर 11 मिनट तक रहेगी, इसके बाद चतुर्दशी लगेगी। प्रदोष व्रत के दिन व्यतीपात योग बन रहा है। इसे ज्योतिष शास्त्र में शुभ योगों में गिना जाता है। इस दिन चंद्रमा तुला और सूर्य वृषभ राशि पर संचार करेगा।
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इन मूहूर्त में न करें भगवान शिव की पूजा-
राहुकाल- 06:41 ए एम से 08:22 ए एम तक।
यमगण्ड- 10:04 ए एम से 11:45 ए एम तक।
गुलिक काल- 01:26 पी एम से 03:08 पी एम तक।
दुर्मुहूर्त- 12:12 पी एम से 01:06 पी एम तक।
वर्ज्य- 02:47 पी एम से 04:12 पी एम तक और इसके बाद 02:54 पी एम से 03:48 पी एम तक।
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सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जात है। सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल माना जाता है।
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का अभिषेक करें व बेलपत्र भी अर्पित करें।
इसके बाद भगवान शिव के मंत्रों का जप करें।
जप के बाद प्रदोष व्रत कथा सुनें।
अंत में आरती करें और पूरे परिवार में प्रसाद बांटे।
प्रदोष व्रत की पूजा कब करनी चाहिए?
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए। सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहा जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
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